निगम चला रहा अभियान…
स्वच्छता मुहिम को ठेंगा दिखा रहे आवारा मवेशियों को सड़कों से हटाने के लिए 16 जनवरी से अभियान शुरू होगा। वेटनरी और नगर-निगम कर्मचारी पांच हजार मवेशियों को गोशाला पहुंचाएंगे। राजधानी के सातों कांजी हाउस फुल है। गायों पर गोशाला का टैग लगेगा। भविष्य में इन्हें ट्राइबल जिलों में भेजा जाएगा ताकि स्थानीय लोग इनका उपयोग कृषि कार्यों में करें। कलेक्टर सुदाम खाडे ने कलेक्टोरेट में गोशाला संचालकों के साथ बैठक की। शहर में 850 डेयरियां और इनमें 25 हजार मवेशी हैं। बड़ी संख्या में मवेशी दूध नहीं देते। ऐसे में पशुपालक इन्हें खुले में छोड़ देते हैं।
ये सुझाव भी आए
गोशाला में शेड पर अनुदान मिले।
जगह अलॉटमेंट एवं पानी की व्यवस्था की जाए।
गोबर से खाद बनाने के लिए मशीन के लिए अनुदान दिया जाए।
फैक्ट फाइल
09 हजार आवारा मवेशी
05 हजार पहले चरण में पकड़े जाएंगे
27 गोशालाओं में 5 हजार मवेशी
30 मंडियों से निकलने वाला ग्रीन वेस्ट चारे के लिए जाएगा गोशाला
मंडी का ग्रीन वेस्ट देंगे चारे के रूप में
इतनी बड़ी संख्या में मवेशियों को गोशाला में ले जाने के बाद इनके लिए चारे की व्यवस्था को लेकर भी सवाल उठा। बैठक में तय किया गया कि सब्जी मंडियों में बचने वाले ग्रीन वेस्ट (सब्जी, फल) को नगर निगम के माध्यम से उठवाकर गोशाला भिजवा दिया जाएगा। राजधानी में 30 से ज्यादा सब्जी मंडी ऐसी हैं जो रोज कहीं न कहीं लगती हैं। इसके अलावा थोक मंडियां भी हैं, जहां रोजाना कई क्विंटल वेस्ट बचता है। इसका उपयोग मवेशियों के चारे के लिए किया जाएगा। नगर निगम को इसके लिए निर्देश दिए जाएंगे।
गौशाला से निकलने वाले गोबर का उपयोग लकड़ी बनाने और खाद के लिए किया जाएगा। राजधानी में कुछ गौशालाएं गोबर से लकड़ी बनाने का काम भी कर रही हैं। जिसका उपयोग विश्रामघाटों पर किया जा रहा है, उनके यहां प्लांट भी लगे हैं। गोबर से लकड़ी के अलावा सीएनजी गैस भी बनाई जा सकती है। अभी तीन गौशाला संचालक गोबर से सीएनजी बना रहे हैं, लेकिन वो हैवी है।