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CBI ने टारगेट पूरा करने एक केस की दर्ज की 22 FIR, फिर भी नहीं हुई जांच पूरी

locationभोपालPublished: May 04, 2019 07:55:59 am

Submitted by:

Radhyshyam dangi

एक साल 4 महीने बाद भी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची जांच एजेंसी, एक ही आरोपी को पकड़ पाए
5 करोड़ से अधिक के प्रकरण पर सीबीआई करती है अलग प्रकरण दर्ज, लेकिन 13 केस इससे कम राशि के
 
 

FIR lodged at District Panchayat member's wife's absence

FIR lodged at District Panchayat member’s wife’s absence

राधेश्याम दांगी, भोपाल. मप्र की सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच ने भोपाल, इंदौर, उज्जैन के पंजाब नेशनल बैंक की अलग-अलग शाखाओं में 2013-18 के बीच हुए घोटाले की 22 एफआईआर दर्ज की। जबकि यह प्रकरण एक ही था, लेकिन सीबीआई भोपाल ने अपना टारगेट पूरा करने के लिए एक ही दिन एक ही मामले की जिसमें अधिकांश आरोपी समान है,

अलग-अलग 22 एफआईआर दर्ज कर जांच शुरु कर दी, लेकिन यह जांच कायमी के एक साल 4 महीने बाद भी किसी नतीेजे पर नहीं पहुंच पाई है। अब तक मात्र एक आरोपी नरेंद्र प्रजापति को ही सिर्फ एक ही मामले में गिरफ्तार कर पाई है। अन्य सभी आरोपी अब भी गिरफ्त से दूर है।

इंदौर, भोपाल और उज्जैन के पंजाब नेशनल बैंक में नरेंद्र प्रजापति और बैंक प्रबंधकों के सहयोग से करीब 100 करोड़ का लोन घोटाला सामने आया था, इस पर सीबीआई ने एक प्रकरण दर्ज करने के बजाय अलग-अलग प्रकरण कायम कर लिया। इसके बाद भी जांच अधूरी पड़ी हुई है। सवा साल बाद भी मात्र एक आरोपी ही पकड़ पाई टीम। 22 प्रकरणों में 116 आरोपी बनाएं गए। जबकि इन सभी प्रकरणों में आरोपियों के नाम एक ही है।

चार ब्रांच के केस को कैसे तोड़ा गया, ऐसे समझें

सीबीआई ने आपराधिक षडयंत्र, चिटिंग, ठगी, फर्जी दस्तावेज इस्तेमाल करने, पद का दुरुपयोग कर करीब 100 करोड़ रुपए की हेरफेर करने वाले आरोपियों के खिलाफ 16 जनवरी, 2018 को प्रकरर्ण दर्ज किया। चार ब्रांचों का यह का मामला है। इस घोटाले के आरोपी उज्जैन ब्रांच में भी पदस्थ रहे।

चार ब्रांच के समान आरोपियों पर सीबीआई ने कुल 22 केस दर्ज किए। सभी केस 2012 से 2018 के बीच के हैं। इनमें लगभग 116 आरोपी बनाए गए हैं, जबकि सभी में समान आरोपियों की भूमिका का दोहराव हुआ हैं। करीब 17 प्रकरणों में नरेंद्र प्रजापति ही अकेले आरोपी है।

अधिकांश प्रकरणों में नरेंद्र की पत्नी, भाई, बहन, बेटा, बेटी, मां, सहित अन्य परिजन शामिल है। कुछ प्रकरणों में संपत्ति का मूल्यांकन करने वाले अग्रवाल बंदू, संजय निगम बार-बार आए। लेकिन सीबीआई ने 2 एफआईआर जुमेराती भोपाल ब्रांच की बनाई। जबकि इसमें शैख नसरुल्ला, चीफ मैनेजर पीएनबी एक ही शिकायतकर्ता हैं।

4 एफआईआर नेहरु नगर ब्रांच से जुड़ी है। इनमें शिकायतकर्ता नारायण पवार चीफ मैनेजर हैं। 8 केस पीएनबी मारवाड़ी रोड़ भोपाल से संबंधित है, जिनका शिकायतकर्ता सुभाष चंद्र मोहता एजीएम पीएनबी ही है। नेहरु नगर ब्रांच की एफआईआर में नरेंद्र प्रजापति, उसके परिजन आरोपी हैं। ब्रांच मैनेजर सहित अन्य आरोपियों को अलग-अलग प्रकरण में आरोपी बनाया गया है। अधिकांश आरोपी समान है।

8 केस एसेट रिकवरी मैनेजमेंट ब्रांच इंदौर के हैं, जिनमें शिकायतकर्ता, विजय कुमार हरित चीफ मैनेजर एसेट रिकवरी मैनेजमेंट ही हैं। इनमें भी नरेंद्र प्रजापति, उनके परिजन, नातेदार-रिश्तेदार और मूल्यांकनकर्ता एजेंट सभी समान हैं। सभी एफआईआर में नरेंद्र प्रजापति और उसके परिजन व मूल्यांकनकर्ता, गारंटर, सभी समान होते हुए 22 केस दर्ज किए।

 

– चारों ब्रांच से कुल 10010.44 लाख रुपए यानी करीब 100 करोड़ का घोटाला। चारों ब्रांचों से इस तरह लिया गया था लोन।

– पीएनबी, जुमेराती से 1133.14 लाख रुपए के दो लोन केस है।
– पीएनबी, नेहरु नगर, ब्रांच से 2279.66 लाख रुपए के 4 लोन केस हैं।

– पीएनबी मारवाड़ी रोड़ भोपाल, से 4056.13 लाख के 8 लोन केस हैं।

पीएनबी एसेट रिकवरी मैनेजमेंट, ब्रांच इंदौर से 2541.51 लाख रुपए के 8 अलग-अलग लोन केस हैं।
– सीबीआई के नियम के मुताबिक 5 करोड़ के गबन, घोटाले में दर्ज होती है सेपरेट एफआईआर, लेकिन 13 ऐसे केस हैं, जिनमें 5 करोड़ रुपए से कम का लोन स्वीकृत कर गबन किया गया हैं।
और परिणाम…

सीबीआई ने इतने प्रकरण दर्ज कर लिए, लेकिन अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई। अभी तक एक ही प्रकरण में इन सभी लोन घोटालों का मास्टर माइंड नरेंद्र प्रजापति ही गिरफ्तार हो पाया है। अब उसे दूसरे प्रकरण में फिर गिरफ्तार करने की तैयारी की जा रही है। साथ ही एक अन्य आरोपी को भी जल्द पकड़ा जा सकता है, लेकिन डेढ? साल बीतने के बाद भी अब तक यह जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है।
मप्र कैडर के आईपीएस अफसर ऋषि कुमार शुक्ला के सीबीआई डायरेक्टर बनते ही मप्र-छत्तीसगढ़ की भोपाल स्थित सीबीआई ब्रांच में 6 साल से खाली ज्वाइंट डायरेक्टर के पद पदस्थ कर दिया। यह अफसर पहले गुजरात में पदस्थ थे, लेकिन अब उन्हें कांग्रेस की सरकार वाले मप्र-छत्तीसगढ़ की कमान दी गई हैं। अब देखना यह है कि सीबीआई ने एक ही प्रकरण की अलग-अलग 22 एफआईआर दर्ज की हैं, उनमें कितना जल्दी निष्कर्ष पर पहुंचती है।
इस मामले में पत्रिका ने सीबीआई भोपाल ब्रांच के एसपी संतोष कुमार से बात की तो उन्होंने टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। उन्होंने दिल्ली मुख्यालय में एडीजी सीबीआई से बात करने को कहा। जब पत्रिका ने एडीजी सीबीआई दिल्ली बात की गई तो वहां चीफ इंफॉरमेशन ऑफिसर नीतिन वाकणकर से बात की तो उन्होंने प्रकरण की जानकारी तो साझा की, लेकिन आधिकारिक तौर पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। पत्रिका ने सीबीआई के अफसरों से तीन सवाल पूछे थे।
इनके जवाब में उन्होंने जानकारी दी कि पीएनबी प्रबंधन की तरफ से 22 शिकायतें मिली थी, इसलिए 22 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। वही, डेढ़ साल बाद भी 1 ही आरोपी की गिरफ्तारी पर कहा कि मुख्य आरोपी नरेंद्र प्रजापति सीबीआई को चकमा देकर जानकारी देने में टालमटोल कर रहा था, बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। अब अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया जाएगा।
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