अलग-अलग 22 एफआईआर दर्ज कर जांच शुरु कर दी, लेकिन यह जांच कायमी के एक साल 4 महीने बाद भी किसी नतीेजे पर नहीं पहुंच पाई है। अब तक मात्र एक आरोपी नरेंद्र प्रजापति को ही सिर्फ एक ही मामले में गिरफ्तार कर पाई है। अन्य सभी आरोपी अब भी गिरफ्त से दूर है।
इंदौर, भोपाल और उज्जैन के पंजाब नेशनल बैंक में नरेंद्र प्रजापति और बैंक प्रबंधकों के सहयोग से करीब 100 करोड़ का लोन घोटाला सामने आया था, इस पर सीबीआई ने एक प्रकरण दर्ज करने के बजाय अलग-अलग प्रकरण कायम कर लिया। इसके बाद भी जांच अधूरी पड़ी हुई है। सवा साल बाद भी मात्र एक आरोपी ही पकड़ पाई टीम। 22 प्रकरणों में 116 आरोपी बनाएं गए। जबकि इन सभी प्रकरणों में आरोपियों के नाम एक ही है।
चार ब्रांच के केस को कैसे तोड़ा गया, ऐसे समझें
सीबीआई ने आपराधिक षडयंत्र, चिटिंग, ठगी, फर्जी दस्तावेज इस्तेमाल करने, पद का दुरुपयोग कर करीब 100 करोड़ रुपए की हेरफेर करने वाले आरोपियों के खिलाफ 16 जनवरी, 2018 को प्रकरर्ण दर्ज किया। चार ब्रांचों का यह का मामला है। इस घोटाले के आरोपी उज्जैन ब्रांच में भी पदस्थ रहे।
चार ब्रांच के समान आरोपियों पर सीबीआई ने कुल 22 केस दर्ज किए। सभी केस 2012 से 2018 के बीच के हैं। इनमें लगभग 116 आरोपी बनाए गए हैं, जबकि सभी में समान आरोपियों की भूमिका का दोहराव हुआ हैं। करीब 17 प्रकरणों में नरेंद्र प्रजापति ही अकेले आरोपी है।
अधिकांश प्रकरणों में नरेंद्र की पत्नी, भाई, बहन, बेटा, बेटी, मां, सहित अन्य परिजन शामिल है। कुछ प्रकरणों में संपत्ति का मूल्यांकन करने वाले अग्रवाल बंदू, संजय निगम बार-बार आए। लेकिन सीबीआई ने 2 एफआईआर जुमेराती भोपाल ब्रांच की बनाई। जबकि इसमें शैख नसरुल्ला, चीफ मैनेजर पीएनबी एक ही शिकायतकर्ता हैं।
4 एफआईआर नेहरु नगर ब्रांच से जुड़ी है। इनमें शिकायतकर्ता नारायण पवार चीफ मैनेजर हैं। 8 केस पीएनबी मारवाड़ी रोड़ भोपाल से संबंधित है, जिनका शिकायतकर्ता सुभाष चंद्र मोहता एजीएम पीएनबी ही है। नेहरु नगर ब्रांच की एफआईआर में नरेंद्र प्रजापति, उसके परिजन आरोपी हैं। ब्रांच मैनेजर सहित अन्य आरोपियों को अलग-अलग प्रकरण में आरोपी बनाया गया है। अधिकांश आरोपी समान है।
8 केस एसेट रिकवरी मैनेजमेंट ब्रांच इंदौर के हैं, जिनमें शिकायतकर्ता, विजय कुमार हरित चीफ मैनेजर एसेट रिकवरी मैनेजमेंट ही हैं। इनमें भी नरेंद्र प्रजापति, उनके परिजन, नातेदार-रिश्तेदार और मूल्यांकनकर्ता एजेंट सभी समान हैं। सभी एफआईआर में नरेंद्र प्रजापति और उसके परिजन व मूल्यांकनकर्ता, गारंटर, सभी समान होते हुए 22 केस दर्ज किए।
– चारों ब्रांच से कुल 10010.44 लाख रुपए यानी करीब 100 करोड़ का घोटाला। चारों ब्रांचों से इस तरह लिया गया था लोन। – पीएनबी, जुमेराती से 1133.14 लाख रुपए के दो लोन केस है।
– सीबीआई के नियम के मुताबिक 5 करोड़ के गबन, घोटाले में दर्ज होती है सेपरेट एफआईआर, लेकिन 13 ऐसे केस हैं, जिनमें 5 करोड़ रुपए से कम का लोन स्वीकृत कर गबन किया गया हैं।