scriptWorld blood donor day: निडिल का दर्द देता है खुशी, ब्लड डोनेट कर बचाई कई जिंदगी! | celebrating world blood donation day | Patrika News

World blood donor day: निडिल का दर्द देता है खुशी, ब्लड डोनेट कर बचाई कई जिंदगी!

locationभोपालPublished: Jun 14, 2018 01:06:06 pm

World blood donor day: निडिल का दर्द देता है खुशी, ब्लड डोनेट कर बचाई कई जिंदगी!

World Blood Donor Day, blood donation camp, blood, be a blood doner, zindgi ki khushi, blood donate kar k   dekho acha lagta hai, raktdaan mahadaan, patrika blood donation camp, patrika news, patrikia bhopalm 14 june,

World blood donor day: निडिल का दर्द देता है खुशी, ब्लड डोनेट कर बचाई कई जिंदगी!

भोपाल। हम अक्सर छोटी छोटी बातों से डर जाते है। थोड़ी सी भी चोट लग जाए तो घबरा जाते है। पर, बात जब किसी की जिंदगी बचाने की हो तो ब्लड निकालने के लिए लगने वाली निडिल का दर्द भी महसूस नहीं होता है। दुनिया में कई ऐसे लोग है। जिन्हें एक खरोच भी आ जांए तो वे बर्दाश्त नहीं कर पाते। पर, किसी कि जान बचाने के लिए उन्होंने डर का सामना किया और जुट गए एक नई जिंदगी के लिए। आज 14 जून यानि ब्लड डोनर्स डे पर पत्रिका द्वारा उन लोगों से बात की गई जिन्होंने ब्लड डोनेट कर कई जिंदगी बचाई। यह ब्लड डोनर्स भगवान बनकर किसी की जिंदगी में आएं और उन्हें एक नई जिंदगी दी।

World </figure> blood Donor Day, <a  href=Blood donation camp , blood, be a blood doner, zindgi ki khushi, blood donate kar k dekho acha lagta hai, raktdaan mahadaan, patrika blood donation camp, patrika news , patrikia bhopalm 14 june,” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2018/06/14/asma_2953312-m.jpg”>

भोपाल में रहने वाली अस्मा खान कई बार ब्लड डोनेट कर चुकी है। वे लोगों को ब्लड प्रोवइड करवाने का काम भी करती है। अस्मा ने बताया कि वे पढ़ी लिखी है इसलिए उन्हें पता है कि ब्लड डोनेशन क्या होता है। लेकिन फिर भी एक हल्का सा डर दिमाग में रहता है। निडिल चुबने का, कमजोरी, चक्कर होना आदि। पर, ब्लड डोनेशन के बाद सब अच्छा लगता है। अस्मा ने बताया कि रक्तदान जीवनदान है। हमारे द्वारा किया गया रक्तदान कई जिंदगीयों को बचाता है। इस बात का अहसास हमें तब होता है जब हमारा कोई अपना खून के लिए ज़िन्दगी और मौत के बीच जूझता है। उस वक्त हम नींद से जागते हैं और उसे बचाने के लिए खून के इंतज़ाम की जद्दोजहद करते हैं।

अनायास दुर्घटना या बीमारी का शिकार हममें से कोई भी हो सकता है। आज हम सभी शिक्षि‍त व सभ्य समाज के नागरिक है, जो केवल अपनी नहीं बल्कि दूसरों की भलाई के लिए भी सोचते हैं। मुझे हमेशा से ही लोगों के लिए कुछ करने की चाह थी। मैं जब 17 साल की थी मैंने तभी डिसाइड कर लिया था कि मुझे ब्लड डोनेट करना है। पर, उस वक्त उम्र कम होने से डॉक्टरर्स ने मुझे मना कर दिया। जैसे ही मैं 18 साल की हुई तो मैंने ब्लड डोनेट किया और तब से लेकर अब तक 13 बार ब्लड डोनेट कर चुकी हूं।

निडिल का दर्द खुशी देता है
अस्मा ने बताया कि कई बार लोग इसलिए ब्लड डोनेट नहीं करते क्योंकि उन्हें निडिल से डर लगता है। पर, मुझे यह दर्द वाली निडिल खुशी देती है। अच्छा लगता है जब आपके खून से किसी इसांन को नई जिंदगी मिलती है।

पहली बार कैंसर पेशेंट के लिए दिया था ब्लड
मुझे याद है कि जब मैं 18 की हुई तो मैंने पहली बार कैंसर पेशेंट के लिए ब्लड दिया था। जब मैं ब्लड दे रही थी, उस वक्त मुझे कोई खास फीलिंग नहीं आई, साफ शब्दों में कहूं तो मुझे ब्लड डोनेट करना था इसलिए कर रही थी। पर, जैसे ही मैं ब्लड देकर बाहर निकली, उस कैंसर पेशेंट की मां ने मुझे इस तरह ट्रीट किया जैसे मैं कोई एंजल हूं। वह पल मेरी जिंदगी का सबसे बेस्ट पल था।

blood

खुशी खुशी करते है ब्लड डोनेट
संत हिरदाराम नगर में सत्संग के जरिए मानवसेवा कार्यो को लोगों तक पहुंचाने में जुटे निरंकारी मिशन के सेवादारों का कार्य काफी सराहनीय है। उन्होंने अपने गुरू बाबा हरदेव सिंह के कहने पर 1986 में पहला रक्त दान शिविर आयोजित किया था। क्योंकि उनके गुरू के अनुसार खून खराबा करने से अच्छा है, उसे किसी सार्थक कार्य में उपयोग किया जाएं। तब से अब तक संस्था द्वारा 5560 ब्लड डोनेशन कैंप लगाएं जा चुके है। जिसमें 95252 यूनिट ब्लड डोनेट किया जा चुका है।

निरंकारी संस्था द्वारा लगाए गए कैंप में कई सेवादारों द्वारा ब्लड डोनेशन किया जाता है। अब तक यह ब्लड कई लोगों की जान बचा चुका है। संस्था में कार्यरत कन्हैया लाल साधवानी ने बताया कि यहां कई लोग ऐसे आते है जो पहले तो थोड़ा डरते है। पर, यहां के माहौल को देखकर वे खुशी खुशी ब्लड डोनेट करते है। हम लोगों को अक्सर नुक्कड़ नाटक के द्वारा लोगों को प्रेरित करते है कि वे ब्लड डोनेट करने से डरे नहीं। क्योंकि आपका ब्लड किसी की जिंदगी बचा सकता है।

सार्थक संस्था के संस्थापक शैलेज दुबे ने इस बार ब्लड डोनर डे पर थैलासीमिया से पीढ़ित बच्चों को ब्लड डोनेट कर रहे हैं। शैलेज ने बताया कि हम हमेशा नुक्कड़ नाटक, अवेयरनेस कैंप के द्वारा लोगों को ब्लड डोनेट करने के लिए प्रेरित करते हैं। जो लोग ब्लड डोनेट करते है हम उन्हें मूवी टिकिट, फूड कूपन और भी कई सारी चीजों के आॅफर देते है। जिससे वे ब्लड डोनेट करने के लिए मोटिवेट हो।
जब हम लोगों को ब्लड डोनेट करते है तो उस वक्त आउट आॅफ द वल्र्ड वाली फीलिंग होती है। वे हमें भगवान समझ लेते है। तब हम उन्हें बताते है कि हम आपकी ही तरह एक आम इंसान है। हम सिर्फ अपना काम कर रहे हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो