बताया जाता है कि 14 साल बाद एकदम से सीमेंट कंपनियां दामों में इतनी बढ़ोतरी करने जा रही हैं। कंपनियों ने वितरकों को अधिक रैक उठाने और डिस्काउंट की बात कही थीं। सीमेंट विक्रेता शेलेन्द्र गुप्ता का कहना है कि शुरूआत में असर देखने को मिल सकता है। सीमेंट के डीलर बलदेव खेमानी ने बताया कि कच्चे माल में तेजी के चलते कंपनियों ने रेट बढ़ाए है। उन्होंने कहा कि ऊपर से ही रेट बढ़ रहे हैं। डेवलपर्स नितिन अग्रवाल ने बताया कि इस वृद्धि से निश्चित रूप से मकानों की कीमतों पर पड़ेगा।
नितिन अग्रवाल, सीएंडएफ, ग्रामीण, माइसेम सीमेंट का कहना है कि दाम बढ़ाने के पीछे पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने, ट्रांसपोर्टेशन महंगा होने और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे कारण हैं। दाम बढ़ने का असर बाजार पर दिखाई देगा। स्टॉक का माल और नए माल की कीमतों में अंतर आएगा।
विकास रमतानी, डेवलपर्स का कहना है कि कंपनियां कह रही है कि वो लॉस में चल रही हैं, सभी कंपनियां एकजुट होकर दामों में बढ़ोतरी कर रही है। एकदम से इतने दाम बढ़ने का प्रोजेक्ट पर असर दिखाई दे सकता है।
महीने भर में एक लाख टन की खपत
भोपाल जिले में हर महीने लगभग 1 लाख टन सीमेंट की खपत होना बताया जा रहा है। रेल के जरिए आने वाले एक रैक में 40 से 60 हजार सीमेंट की बोरियां आती हैं। दाम बढ़ने में का शुरूआत में असर देखने को मिल सकता है। 2008 में भी कंपनियों ने दामों ऐसे ही बढ़ोतरी की थी, उस समय एकमुश्त 35 से 40 रुपए प्रति बोरी दाम बढ़ाए गए थे। 14 साल बाद फिर से 35 रुपए की बढोतरी की जा रही है। इससे पूर्व मार्च में भी 5-5 रुपए करके दाम बढ़ाए गए थे।