डा. सविता के मुताबिक सीमेंट के साथ फ्लाई ऐश, संगमरमर के चूरे, चिमनियों से निकलने वाले कचरे यानि जीजीबीए और सिलिका से पेवर ब्लाक व अन्य प्रकार के ब्लाक बनाए जा सकते हैं। इनकी मजबूती सीमेंट से भी अधिक होगी और यह अपेक्षाकृत सस्ता भी पड़ेगा। डा. सविता को इस शोध में दो साल लगे। रसायन शास्त्र विभाग की अध्यक्ष डा. सविता की इस काम में मैकेनिकल विभाग के अध्यक्ष डा. गजेंद्र दीक्षित ने खासी मदद की।
डा. सविता के अनुसार इस शोध से न केवल 30 प्रतिशत सीमेंट की बचत होगी बल्कि पर्यावरण की रक्षा भी होगी। उनके सहयोगी डा. गजेंद्र दीक्षित ने बताया कि संगमरमर का चूरा जहां मिट्टी में मिलकर उसकी उर्वरा शक्ति को कम करता है। वहीं फ्लाई ऐश हवा में मिलकर उसे जहरीला बनाता है। इसके साथ ही फ्लाई ऐश श्वास संबंधी बीमारियों का अहम कारण भी बनता है।
उन्होंने बताया कि कई तरह के परीक्षण से यह स्पष्ट हो चुका है कि सीमेंट में 30 प्रतिशत तक माडिफाइड कांक्रीट कंपोजिशन मिलाकर बनाए गए ब्लाक सीमेंट से अधिक मजबूत बनते हैं और सस्ते भी पड़ते हैं। खास बात यह है कि इससे पहले भी डा. सविता पांच शोध कार्यों के लिए पेटेंट प्राप्त कर चुकी हैं।