प्रदेश की पिछली भाजपा सरकार के समय केंद्र ने गेहूं के बोनस को लेकर दरियादिली दिखाई थी। अगस्त-सितंबर 2018 में विधानसभा चुनाव के समय तत्कालीन भाजपा सरकार ने बोनस बांटा था। इसी कारण अब कांग्रेस सरकार को केंद्र का रवैया राजनीतिक व पक्षपातभरा लग रहा है।
मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने दिल्ली जाकर गेहूं सहित अन्य मुद्दों पर केंद्रीय मंत्री से बात करने की तैयारी की है, ताकि मप्र को मिलने वाली मदद में बढ़ोतरी हो। वहीं, मंत्री जीतू पटवारी ने किसानों के साथ केंद्र के भेदभाव को लेकर विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।
दरअसल, पिछले 11 महीनों में कमलनाथ सरकार को केंद्र से मिलने वाली राहत राशि में लगातार कमी आई है। सबसे पहले पीएम फसल बीमा योजना में केंद्र ने 2300 करोड़ रुपए पिछले चार सालों के न चुकाने पर अपना शेयर देने से इनकार कर दिया। इस पर कमलनाथ सरकार उलझन में है। क्योंकि, इस साल के 506 करोड़ रुपए सरकार दे चुकी है। पिछली भाजपा सरकार का बकाया वह चुकाने के मूड में नहीं। राज्य सरकार का तर्क है कि बारिश के कहर से 58 लाख हेक्टेयर की फसल बर्बाद हुई। राज्य ने केंद्र से 6700 करोड़ की राहत राशि मांगी। लेकिन, केंद्र ने महज 1000 करोड़ रुपए दिए। वह भी दो महीने की देरी के बाद दिए गए। अब यूरिया संकट भी केंद्र से रैक आने में देरी के कारण उपजा।
13 लाख किसानों को बांटा जाना है बोनस
1400 करोड़ रुपए का बोनस का खर्च आएगा
1400 करोड़ का गेहूं नहीं खरीदेगा केंद्र बोनस बांटने पर
2800 करोड़ से ज्यादा का बोझ आएगा सरकार पर
6700 करोड़ रुपए आपदा राहत के मांगे थे केंद्र से मप्र ने
1000 करोड़ ही आपदा राहत के मिले केंद्र से प्रदेश को
2300 करोड़ पुराना बकाया न देने पर फसल बीमा का शेयर भी रोका
– सचिन यादव, कृषि मंत्री