– इसलिए बंद हुई थी अदला-बदली
कटनी में 2011 में जमीन की अदला-बदली में घोटाला सामने आया था। तत्कालीन कलेक्टर अंजू सिंह बघेल ने एक निजी व्यक्ति की सस्ती जमीन अधिग्रहित करने के बदले बेशकीमती जमीन आवंटित कर दी थी। इस मामले में बघेल को निलंबित किया गया था। इस प्रकरण के बाद सरकार ने ये मॉडल ही बंद कर दिया था।
– कितनी जमीन, कितनी दूरी
सिक्स लेन चंबल एक्सप्रेस-वे मध्यप्रदेश राजस्थान और उत्तर प्रदेश से होकर गुजरेगा। इसमें 283 किमी की दूरी तक एक्सप्रेस-वे रहेगा, जिसमें 195 किमी मप्र का क्षेत्र रहेगा। इसके लिए 1550 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित होना है। इसमें 750 हेक्टेयर जमीन सरकारी और 800 हेक्टेयर किसानों की है। इस पर 305 करोड़ का खर्च आना है। वहीं पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 850 करोड़ रुपए का खर्च आना है।
– तीन जिले, 155 गांव होंगे प्रभावित
चंबल एक्सप्रेस-वे के लिए मुरैना, भिंड और श्योपुर जिले की आठ तहसीलों के बीहड़ों की जमीन का उपयोग होगा। इससे 115 गांव सीधे तौर पर एक्सप्रेस-वे कॉरिडोर से जुड़े रहेंगे। इनमें 55 गांव मुरैना के हैं। बाकी गांव भिंड और श्योपुर के होंगे।
– कॉरिडोर डवलपमेंट प्रोजेक्ट भी रहेगा
इस एक्सप्रेस-वे के कॉरिडोर में चुनिंदा स्थलों पर डवलपमेंट प्रोजेक्ट अलग से डिजाइन किए जाने हैं। इसके तहत व्यावसायिक गतिविधियों से लेकर मनोरंजन और पर्यटन के केंद्र भी विकसित होंगे। इसमें लॉजिस्टिक पार्क, मनोरंजन केंद्र, अस्पताल, मनोरंजन केंद्र, रिसॉर्ट व स्मार्ट सिटी तक को लेकर डिजाइन तैयार होंगे।
– क्या है स्थिति
283 किमी लंबा बनेगा एक्सप्रेस-वे
195 किमी क्षेत्र मप्र से गुजरेगा
850 करोड़ रुपए कुल लागत
305 करोड़ जमीन अधिग्रहण में लगना
75 फीसदी राशि पहले केंद्र से मिलना थी
100 फीसदी राशि अब मप्र के जिम्मे आई
चंबल एक्सप्रेस-वे को लेकर दिल्ली में बैठक हो चुकी है। इसे बनाने के लिए किसानों से जमीन की अदला-बदली करने पर विचार किया जा रहा है। एक्सप्रेस-वे के रास्ते में आने वाली जमीन लेकर उन्हें दूसरी जगह जमीन दी जाएगी। इसमें सरकार को जमीन अधिग्रहण के लिए पैसा नहीं देना होगा।
– एसआर मोहंती, मुख्य सचिव