इनकी ऑरकेस्ट्रा टीम भी है। इन्होंने संगीत का प्रशिक्षण जेल में ही लिया है। ये सभी भोपाल सेंट्रल जेल से जल्द रिहा होने वाले हैं। बाहर आकर जन्मदिन, शादी आदि कार्यक्रमों में परफॉर्मेंस देकर गुजारा करेंगे।
जेल विभाग कर रहा मदद
जेल विभाग इन 12 कैदियों को मुख्यधारा में जोडऩे के लिए दो लाख रुपए का इंतजाम कर रहा है। इससे ऑरकेस्ट्रा के वाद्ययंत्र खरीदे जाएंगे। टीम का संपर्क शादी समारोह में भाग लेने के लिए मैरिज गार्डन संचालकों से कराया जाएगा।
जेल से रिहा होने वाले कैदी मुख्यधारा में जुडकऱ अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकेंगे। 12 कैदियों को ऑरकेस्ट्रा और 15 को ड्राइविंग का प्रशिक्षण दिया है।
– दिनेश नरगावे, अधीक्षक, सेंट्रल जेल
स्टेयरिंग भी थामेंगे
भोपाल सेंट्रल जेल में करीब 15 कैदी ड्राइविंग की ट्रेनिंग ले रहे हैं। जेल विभाग इन कैदियों को परिवहन विभाग के जरिए ड्राइविंग टेस्ट और लाइसेंस भी मुहैया कराएगा। इतना ही नहीं नौकरी की गारंटी देने के लिए जेल विभाग ने कई प्राइवेट कंपनी, एनजीओ, प्राइवेट फर्म से बात भी कर ली है।
पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी शुरुआत भोपाल सेंट्रल जेल से हो रही है, फिर इसे मप्र की सभी जेलों में चलाया जाएगा। ये वे कैदी हैं, जिनकी तीन माह के अंदर सजा पूरी होने वाली है।