ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधा:
प्रेमचंद गुड्डू ने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रताडऩा से तंग आकर उन्होंने पार्टी छोड़ी थी। गुड्डू ने कहा कि भाजपा में जाने के बाद मुझे अहसास हुआ कि भाजपा में दोयम दर्ज का व्यवहार किया जाता है। कांगे्रस से भाजपा में जाने वाले किसी भी व्यक्ति को वहां सम्मान नहीं मिलता है। भाजपा में मैंने हमेशा घुटन महसूस की, अब मैंने अपनी मातृ संस्था कांगे्रस पार्टी में घर वापसी की है। गुड्डू को सांवेर सीट से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। वे मंत्री तुलसीराम सिलावट को टक्कर दे सकते हैं। वे भाजपा में गए थे तो भाजपा ने अजीत बोरासी को घट्टिया से उम्मीदवार बनाया था लेकिन बोरासी कांग्रेस से हार गए थे।
तुलसी बोले मुझे फर्क नहीं पड़ता :
गुड्डू की वापसी पर जलसंसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि उनके लिए प्रेमचंद गुड्डू कोई चुनौती नहीं हैं। गुड्डू के कांग्रेस में शामिल होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। गुड्डू ने अपने बेटे की टिकट के लिए कांग्रेस छोड़ी थी और अब फिर से टिकट के लिए वापस कांग्रेस में पहुंच गए। तुलसी ने कहा कि जनता उनके साथ है और सबकी असलियत जानती है।
सोशल डिस्टेंसिंग भूले नेता :
प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में सदस्यता कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें प्रेमचंद गुड्डू को विधिवत कांग्रेस की सदस्यता दिलाई गई। लेकिन इस कार्यक्रम में नेता सोशल डिस्टेंसिंग भूल गए। मंच पर डेढ़ दर्जन से ज्यादा नेता एक साथ बैठे हुए थे। कुछ के चेहरे पर मास्क भी नहीं था।
इन नेताओं ने भी किया दलबदल :
– चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी अचानक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए और उनके भाई मुकेश चौधरी को मेहगांव से भाजपा ने टिकट दिया। 2018 में चौधरी राकेश सिंह को भी टिकट दिया गया लेकिन वे चुनाव हार गए। लोकसभा चुनाव के समय वे वापस कांग्रेस में लौट आए और अब मेहगांव से टिकट के दावेदार हैं।
– संजय पाठक ने कहा था कि उनके खून में कांग्रेस का डीएनए है लेकिन उसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा की तरफ से विधायक बने और फिर मंत्री भी बनाए गए। अभी भी भाजपा विधायक हैं।
– नारायण त्रिपाठी ने भी कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थामा। भाजपा से विधायक भी बने। प्रदेश में जब कमलनाथ सरकार बनी तो उन्होंने खुलकर उनका समर्थन किया। सरकार गिर गई तो त्रिपाठी फिर भाजपा के पाले में चले गए। त्रिपाठी कांग्रेस से पहले सपा के नेता भी रह चुके हैं।
– उदय प्रताप सिंह ने भी कांग्रेस को छोड़ा और भाजपा के झंडे तले चले गए। भाजपा ने उनको होशंगाबाद से लोकसभा का टिकट दिया और वे सांसद चुने गए। अभी भी वे भाजपा की तरफ से सांसद हैं।
– पूर्व मंत्री सरताज सिंह का विधानसभा में टिकट कटा तो वे कांग्रेस में शामिल हो गए और होशंगाबाद से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन हार गए।
– पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया ने भी लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़ कांग्रेस की राह पकड़ ली लेकिन उनको टिकट नहीं मिला।
– भाजपा की पूर्व विधायक प्रमिला सिंह को विधानसभा टिकट नहीं मिला तो वे शहडोल से लाकसभा चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार बन गईं।
– हिमाद्री सिंह ने कांग्रेस छोड़ भाजपा की शरण ले ली और लोकसभा का टिकट पाकर सांसद भी बन गईं।
राजनीति को अशुद्ध कर रहे दलबदलु : भार्गव
पूर्व नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता गोपाल भार्गव ने भी दल-बदल पर तंज कसा है। गोपाल भार्गव ने कहा कि नेताओं के लिए पार्टियां बदलना अब कपड़े बदलना जैसा हो गया है। ऐसे लोग राजनीति को अशुद्ध कर रहे हैं। यही कारण है कि लोगों के मन में राजनीति के प्रति नफरत का भाव पैदा हो रहा है। प्रेमचंद गुड्डू के भाजपा के खिलाफ दिए गए बयानों को हास्यास्पद बताया।