एमपीपीसीबी को भी नियमित मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि इन नदियों में सीवेज और कचरा ना फेंका जाए। इससे इन नदियों के पुनर्जीवित होने की संभावना बढ़ गई है।नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सेंट्रल जोन बेंच ने नित्यानंद मिश्रा की याचिका पर गुरुवार को वीडियो कॉन्फे्रंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए यह अंतिम आदेश पारित किया है।
याचिका में अवैध कब्जे की शिकायत
याचिका में शिकायत की है कि चित्रकूट में सरयू व पयस्विनी नदी और उसके किनारे पर अवैध कब्जे हो गए हैं। इनमें कई निजी और प्रभावशाली लोगों ने नदी किनारों पर अतिक्रमण कर निर्माण कर लिए हैं। कुछ धार्मिक आश्रम बना लिए हैं, तो कुछ जगह फार्म हाउस व व्यवसायिक गतिविधियों का संचालन हो रहा है। यहां से निकलने वाला पूरा अनुपचारित सीवेज, कचरा इन नदियों में फेंके जाने से विलुप्त हो गई हैं, सिर्फ नाले बचे हैं। यह दोनों नदियां चित्रकूट के कामदगिरि पर्वत से निकली हुई हैं।
याचिका में शिकायत की है कि चित्रकूट में सरयू व पयस्विनी नदी और उसके किनारे पर अवैध कब्जे हो गए हैं। इनमें कई निजी और प्रभावशाली लोगों ने नदी किनारों पर अतिक्रमण कर निर्माण कर लिए हैं। कुछ धार्मिक आश्रम बना लिए हैं, तो कुछ जगह फार्म हाउस व व्यवसायिक गतिविधियों का संचालन हो रहा है। यहां से निकलने वाला पूरा अनुपचारित सीवेज, कचरा इन नदियों में फेंके जाने से विलुप्त हो गई हैं, सिर्फ नाले बचे हैं। यह दोनों नदियां चित्रकूट के कामदगिरि पर्वत से निकली हुई हैं।
कार्रवाई: वसूलें हर्जाना
माना जाता है कि भगवान श्रीराम ने वनवास काल के करीब 12 साल इन नदियों के किनारे गुजारे हैं। इनकी लंबाई 20-30 किमी है। यह दोनों नदियां चित्रकूट के रामघाट पर मंदाकिनी से मिल जाती हैं। एनजीटी ने सतना नगर निगम और कलेक्टर को यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि इन नदियों के मामले में पर्यावरणीय नियम-कानूनों का पालन हो। उल्लंघन करने वालों के खिलाफ विधि अनुसार कार्रवाई के साथ ही अनिवार्य रूप से पर्यावरण क्षति हर्जाना वसूलने के लिए कहा है।
माना जाता है कि भगवान श्रीराम ने वनवास काल के करीब 12 साल इन नदियों के किनारे गुजारे हैं। इनकी लंबाई 20-30 किमी है। यह दोनों नदियां चित्रकूट के रामघाट पर मंदाकिनी से मिल जाती हैं। एनजीटी ने सतना नगर निगम और कलेक्टर को यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि इन नदियों के मामले में पर्यावरणीय नियम-कानूनों का पालन हो। उल्लंघन करने वालों के खिलाफ विधि अनुसार कार्रवाई के साथ ही अनिवार्य रूप से पर्यावरण क्षति हर्जाना वसूलने के लिए कहा है।