इस मामले में सीबीआई ने 9 जुलाई 2015 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह मामला एसटीएफ से ले लिया था। एसटीएफ ने 77 लोगों को आरोपी बनाया था, वहीं सीबीआई की जांच में 22 और नाम जुड़े। एसटीएफ ने चार चार्जशीट दाखिल की थी।
84 अभ्यर्थियों के नंबर बढ़ाकर किया खेल आरोपियों ने परीक्षा परिणाम में फर्जीवाड़ा कर 6 से लेकर 30 नंबर पाने वाले अभ्यर्थियों को 80 से लेकर 108 नंबर तक बढ़ाकर संविदा शिक्षक की पात्रता परीक्षा पास कराकर चयनित करा दिया था। तत्कालीन मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने अकेले ही 40 उम्मीदवारों को परीक्षा उत्तीर्ण कराई थी। व्यापमं के प्रिंसिपल सिस्टम एनालिसिस्ट नितिन मोहिंद्रा के कम्प्यूटर की हार्डडिस्क से मिले डाटा की जांच में पाया गया था कि 84 अभ्यर्थियों के नंबर बाद में बढ़ाए गए थे। इनमें से एक अभ्यर्थी ने तो परीक्षा भी नहीं दी थी, फिर वह संविदा शिक्षक बना दिया गया।
ओएमआर शीट से करतूत का खुलासा सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक जांच में पाया गया कि नितिन मोहिंद्रा ने अपने कंप्यूटर में ऐसे उम्मीदवारों के रोल नंबर, फॉर्म नंबर और दूसरी जानकारियां एक एक्सेल शीट में तैयार की, जिन्हें गलत तरीके से परीक्षा पास कराई थी। इस डाटाशीट में उन बिचौलियों के नाम भी दर्ज किए, जिन्होंने परीक्षा पास कराने के लिए अभ्यर्थियों के नाम दिए थे। रिजल्ट जारी होने से ठीक पहले नितिन मोहिंद्रा ने दूसरा डाटाबेस तैयार किया, जिसमें हर अभ्यर्थी के कितने नंबर बढ़ाने हैं, यह दर्ज किया गया। बाद में रिजल्ट के डाटाबेस में जरूरत के मुताबिक 84 अभ्यर्थियों के नंबर बढ़ा उन्हें पास तो कर दिया, पर ओएमआर शीट में बदलाव नहीं हो सका। असली नंबर मिटा पात्रता परीक्षा पास करने वाले नंबर चढ़ा दिए ।
एक्सेल शीट में उमा भारती का नाम, बयान में खुलासा नहीं व्यापमं महाघोटाले की पड़ताल के दौरान बरामद एक्सलशीट में 17 बिचौलियों के नाम और उनके आगे अभ्यर्थियों की संख्या लिखी हुई थी। इसी शीट में उमा भारती का नाम भी था, जिनकी सिफारिश पर दो अभ्यर्थियों चंद्र प्रकाश शर्मा और शिखा पाराशर का उल्लेख था। चार्जशीट के अनुसार पंकज चतुर्वेदी और नितिन मोहिंद्रा से पूछताछ में यह खुलासा नहीं हो पाया कि उमा का नाम किसके जरिए और कैसे आया।