स्थिति समय के हिसाब से तय होती है
एक चैनल को इंटरव्यू देते हुए सचिवालय के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने कहा कि अगर फ्लोर टेस्ट की स्थिति बनती है तो सभी सदस्यों को सूचना दे दी जाती है और अल्प सूचना में सेशन बुलाया जा सकता है। इसमें 24 घंटे का समय भी लग सकता और 48 घंटे का भी। या कभी कभी स्थिति समय के हिसाब से तय होती है।एक चैनल को इंटरव्यू देते हुए सचिवालय के प्रमुख ने कहा कि फ्लोर टेस्ट के लिए 2 तरीके की स्थिति रहती है।
फ्लोर टेस्ट हो जाता है
पहली स्थिति सत्ता पक्ष सदन में विश्वास मत साबित करना चाहता है तो वह विश्वास का प्रस्ताव लाता है। अगर विपक्ष सत्ता के प्रति अविश्वास व्यक्त करता है तो वह अविश्वास प्रस्ताव लाता है। किसी भी पक्ष की तरफ से सूचना आती है तो उस पर विचार किया जाता है। स्पीकर, कार्य मंत्रणा समिति विचार करती है, फिर समय तय होता और फ्लोर टेस्ट हो जाता है।
राज्यपाल ने लिखी थी चिट्ठी
राज्यपाल लालजी टंडन ने सीएम को फ्लोर टेस्ट के लिए 16 मार्च और 17 मार्च को चिट्ठी लिखी थी। राज्यपाल लालजी टंडन ने सीएम को 16 मार्च को एक चिट्ठी लिखकर कहा था कि मेरे अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट करवाएं, लेकिन राज्यपाल लालजी टंडन के अभिभाषण के बाद सदन की कार्रवाई 26 मार्च के लिए स्थागित कर दी गई। उसके बाद राज्यपाल लालजी टंडन ने अगले दिन फिर सीएम कमलनाथ को एक चिट्ठी लिखी जिसमें राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा कि 17 मार्च को फ्लोर टेस्ट करवाएं।
सदन को कोई सूचना नहीं मिली
वही सचिवालय के प्रमुख सचिव एपी सिंह का कहना है कि राज्यपाल लालजी टंडन ने सीएम को चिट्ठी लिखी है उसे लेकर सदन को कोई सूचना नहीं मिली है। सदन को अविश्वास प्रस्ताव की सूचना भी नहीं मिली है। सचिवालय के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने ये भी बताया कि विधानसभा कोई प्रस्ताव नहीं बनाती है, दोनों पक्ष या सदस्य प्रस्ताव लेकर आ सकते हैं। एपी सिंह ने कहा फिलहाल फ्लोर टेस्ट को लेकर सत्ता और विपक्ष की तरफ से कोई प्रस्ताव सदन को नहीं मिला है। यह सब सदन से बाहर की बातें हैं, जब प्रस्ताव आएगा तभी फ्लोर टेस्ट होगा।