scriptगंभीर मानसिक रोगों से जूझ रहे हैं बाल सुधारगृहों के बच्चे | Child rehabilitation children are struggling with serious mental disor | Patrika News

गंभीर मानसिक रोगों से जूझ रहे हैं बाल सुधारगृहों के बच्चे

locationभोपालPublished: Oct 11, 2018 01:14:00 am

Submitted by:

Ram kailash napit

जांच में हुआ खुलासा: मप्र हाईकोर्ट के निर्देश पर हमीदिया अस्पताल लाए गए थे जांच के लिए नाबालिग

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Child rehabilitation

भोपाल. विभिन्न अपराधों में प्रदेश के बाल सुधारगृहों में रहने वाले नाबालिग चिकित्सीय जांच में गंभीर मानसिक रोगों से पीडि़त पाए गए हैं। इन पर हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार, चोरी जैसे मामले चल रहे हैं या इनमें सजा दी गई है। मप्र उच्च न्यायालय के के निर्देश पर इन नाबालिग कैदियों का स्वास्थ्य परीक्षण हमीदिया अस्पताल के मनोरोग विभाग में किया गया था। काउंसलिंग में सामने आया कि नाबालिगों के अपराधी बनने के पीछे वजह तेजी से बदला हुआ सामाजिक परिवेश और माता-पिता द्वारा बच्चों को दी गई बेतहाशा छूट है।

बहरहाल, न्यायालय के निर्देश पर इन नाबालिग मनोरोगियों को चिकित्सीय परामर्श मुहैया कराया जा रहा है। हमीदिया अस्पताल में हर साल इस तरह के प्रकरणों की संख्या बढ़ रही है। ये बात विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष्य पर गांधी मेडिकल कॉलेज में आयोजित वर्कशॉप में डॉक्टरों ने कही। मनोरोग विभाग के प्रमुख डॉ. आरएन साहू ने बताया कि सुनवाई के दौरान कोर्ट इन नाबालिगों की मनोदशा की जांच के लिए गांधी मेडिकल कॉलेज भेजता है। उन्होंने कहा कि कोर्ट के निर्देशानुसार हम यह तो नहीं बता सकते हैं कि इन नाबालिगों को किस तरह की समस्याएं हैं, लेकिन इतना जरूर है कि बदलते सामाजिक परिवेश इसके लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा टीवी और इंटरनेट की आवश्यकता से अधिक उपलब्धता भी इसकी मुख्य वजह है। वर्कशॉप में बताया गया कि मेंटल हेल्थ एक्ट के अनुसार मानसिक रोगियों को जेल में नहीं रखा जा सकता है, लेकिन अकेले भोपाल के सेंट्रल जेल के चार हजार कैदियों में से 170 से 250 कैद मानसिक बीमारी के शिकार हैं। यही हाल मप्र के अन्य जेलों का भी है।
शराब से ज्यादा खतरनाक इंटरनेट एडिक्शन

असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रुचि सोनी ने बताया कि युवाओं में इंटरनेट एडिक्शन बढ़ता जा रहा है। नशा मस्तिष्क में मौजूद रिवार्ड सर्किट को प्रभावित करता है। यह तंत्र व्यक्ति को सुकून का अहसास कराता है, नशा करने के बाद यह तंत्र सिर्फ नशे से ही एक्टिव होता है। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए शोध में सामने आया है कि इंटरनेट एडिक्शन शराब से कहीं अधिक इस तंत्र को प्रभावित करता है।
प्रदेश में बढ़ रही मानसिक रोगियों की संख्या

एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जेपी अग्रवाल के मुताबिक मध्य प्रदेश में युवाओं में मानसिक रोग तेजी से बढ़ रहा है। इस मामले में मप्र देश में अव्वल है। देश में यह आंकड़ा 10.6 फीसदी है तो मप्र में 13.9 है। उन्होंने बताया कि उनकी ओपीडी में हर रोज 20 से ज्यादा युवा आते हैं जो किसी ना किसी रूप से मनोरोग से पीडि़त हैं।
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