मम्मी जब भी नहलाती तो कहती कि हम दोनों पति-पत्नी बहुत गोरे हैं लेकिन तू इतना काला है, हमें काला बेटा नहीं चाहिए था, लेकिन तू आ गया और पत्थर से घिस-घिस कर नहलाती। नहाते समय जब मुझे पत्थर से शरीर पर खरोंच आती दर्द होता और मैं रोता जिसे सुन मां मुझे मारती। ये व्यथा पीडि़त 6 वर्षीय बच्चे ने सुनाई। जो इन दिनों चाइल्ड लाइन की कस्टडी में हैं।
मां के डर के कारण बच्चा सहता रहा डेढ़ साल तक जुल्मबच्चे ने बताया कि उसकी मां जब भी उसको पढ़ाती और कुछ समझ नहीं आता तो वह चिमटे को गर्म करके बच्चे के शरीर में लगाती तो कभी उल्टा टांग देती। बच्चे ने बताया कि उसकी मां सुधा तिवारी करोंद स्थिति शासकीय स्कूल में टीचर है और पिता पीपुल्स हॉस्पिटल में काम करते हैं।
बच्चे की मौसी की बेटी शोभना ने बताया कि वह जब भी अपने भाई से मिलने मौसी के घर तो बच्चे के कभी हाथ तो कभी पैर पर जोट के निशान दिखते थे। बच्चे से उसने कई बार पूछा लेकिन मां के डर के कारण कुछ बता नहीं पाता था। कुछ दिन पहले बच्चे ने बहन को शरीर पर पड़े घाव दिखाए जिसे देखकर वह खुद हैरान हो गई। इसके बाद उसने चाइल्ड लाइन में शिकायत की।
मजबूरी में किया था बच्चे को अडॉप्ट… बच्चे की मां सुधा तिवारी ने बताया कि उसे तीन साल की लंबी प्रक्रिया के बाद यह बच्चा मिला था। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन माध्यम से बच्चे की फोटो दिखाई जाती थी जिसके बाद सिलेक्ट और रिजेक्ट की प्रक्रिया होती थी। यह प्रक्रिया तीन बार होती थी। तीसरी बार हमें सांवले बच्चे का फोटो मिला जिसे हमें मजबूरी में अडॉप्ट करना पड़ा।
परिजनों को बच्चा सौंपने के बाद जिम्मेदार फेर लेते थे मुंह… मातृछाया अधिकारियों ने बताया कि परिजनों द्वारा बच्चों को सौंपे करीब डेढ़ साल हो चुका है और इस दौरान फोन के माध्यम से ही बच्चे का फ्लोअप हुआ है। जिसका कारण उन्होंने परिजनों के घर का पता बदल जाना बताया। जानकारी के मुताबिक शहर में करीब 15 बच्चों को बीते एक साल में परिजनों को गोद दिया गया है जिसका फ्लोअप इन दिनों मातृछाया की टीम कर रही है। बच्चा गोद देने के बाद जिम्मेदार अधिकारी फेर लेते हैं मुंह मातृछाया अघिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार किसी बच्चे को गोद देने के बाद दो साल तक फ्लोअप में लिया जाता है, जिसमें बच्चे की वर्तमान स्थिति देखने के लिए टीम परिजनों के घर जाती है।
यह प्रक्रिया हर 6 महीने में होती है। कारा और सारा के अधिकारियों ने बताया कि करीब 50 बच्चे हैं जो अन्य प्रदेश के दंपतियों को गोद दिया गया है। लेकिन जब उनकी जानकारी मांगी तो उन्होंने अपने हाथ खड़े कर लियासूत्रों के अनुसार कारा और सारा के पास गोद दिए बच्चों के न तो वर्तमान पता है और न ही उनके परिजनों के मोबाइल नंबर।
जिस समय बच्चा मिला था उस समय बच्चे के शरीर में काफी घाव थे। बच्चे को तुरंत ट्रीटमेंट दिया गया। बच्चा अभी स्वस्थ है आगे जो भी बाल कल्याण समिति का निर्देश होगा बच्चे को वहां भेज दिया जाएगा।
– अर्चना सहाय, डायरेक्टर, चाइल्ड लाइन