पिछले दिनों बच्चों के चहेते और उनकी दुनिया में खुशियां लाने वाले, उन्हें गुदगुदाने वाले फुरफुरीनगर के मोटू-पतलू पत्रिका के ऑफिस आ चुके हैंं। एक ओर जहां मोटू योग करता है तो पतलू पुलिस इंस्पेक्टर से बचकर भागता है। मोटू-पतलू की शरारत को टीवी स्क्रीन पर किड्स तो पसंद करते ही है, पैरेंट्स के भी ये फेवरेट कैरेक्टर बन गए हैं क्योंकि किड्स के साथ वे भी टीवी देखने लगते हैं।
पिछले दिनों मोतू-पतलू किड्स से रूबरू हुए बिग स्क्रीन पर। मोटू-पतलू को लेकर बनी थ्रीडी मूवी ‘किंग ऑफ किंग्स ‘ भी कुछ साल पहले 14 अक्टूबर को रिलीज हो चुकी है। मूवी को केतन मेहता ने डायरेक्ट किया है।
जानकारों के अनुसार लोग मोटू-पतलू को अभी तक टीवी पर देखते आए हैं। इन कार्टून कैरेक्टर्स ने धमाल किया है। ऐसे में मोटू-पतलू को लेकर बनी थ्रीडी मूवी ‘किंग ऑफ किंग्स’एक बहुत अच्छा प्रयास है। वहीं फिल्म आने से पहले से ही शहर के किड्स मोतू पतलू को लेकर अत्यधिक क्रेजी बने हुए हैं।
फिल्म रिलिज होने से पहले पत्रिका कार्यालय पहुंचे मोटू-पतलू ने बताया था कि हमें यहां बच्चों से मिलकर बहुत अच्छा लगा। बच्चों ने हमें टीवी पर पसंद किया है। अब हम बड़े पर्दे पर अपने एडवेंचर और एंटरटेनमेंट दिखाएंगे। बच्चों को भी मोटू-पतलू की फिल्म का बेसब्री से इंतजार है। फिल्म में सबसे अच्छे दोस्त मोटू पतलू और उनके बाकी दोस्त जैसे चिंगम, डॉ. झटका, घसीटाराम आदि एक शेर के प्लॉट में फंस जाते हैं।
यह लॉयन किंग अपने किंगडम की रक्षा करना चाहता है, जबकि एक लालची शिकारी जंगल के जीवन को नष्ट करना चाहता है। अब सबकुछ ठीक करने की जिम्मेदारी मोटू-पतलू अपने ऊपर ले लेते हैं।
ऐसे समझें :किड्स में मोतू पतलू का क्रेज… 1. मोटू को देख करने लगती हूं योग : छह साल की भव्या के अनुसार वह दो सालों से मोटू-पतलू कार्टून प्रोग्राम देख रही है। भव्या के मुताबिक इसके कैरेक्टर्स मुझे कई नई बातें सिखाते हैं।
वे कभी योग करते है तो कभी डांस। उन्हें देख मैं भी ऐसा करने लगती हूं।’ पिता चंचल तिवारी ने बताया, ‘यह प्रोग्राम मेरा भी फेवरेट बन गया है। इससे कई अच्छी बातें सीखने को मिलती है।’
2. स्कूल में भी होता है इन पर डिस्कशन: सात साल की हिमांशी भी कहती हैं कि ‘कार्टून प्रोग्राम्स में मेरे सबसे फेवरेट मोटू-पतलू है। मोटू-पतलू अपनी एक्टिंग से खूब हंसाते हैं। घर पर तो मैं इसे देखती हूं, साथ में इसे लेकर स्कूल में दोस्तों से भी इस पर बातचीत यानि डिस्कशन होता है।’ वहीं हिमांशी की मां मुक्ता नेहाटे कहती हैं, ‘मोटू-पतलू को लेकर बच्चे इतने क्रेजी हैं कि स्कूल से दोपहर में आते ही मां होमवर्क करा दो की रट लगा देते हैं, ताकि वे शाम को मोटू पतलू का शो देख सकें।’
3. मोटू-पतलू की हर स्टाइल है अलग : सिद्धि आर्या पांच साल की है। वे कहती है, ‘विस्पर और मोटू-पतलू में से मुझे मोटू-पतलू ज्यादा अच्छा लगता है। इनकी बात करने और चलने की स्टाइल अलग है।’
इनके पिता राजेश आर्या कहते हैं, ‘जब भी सभी कॉलोनी के बच्चे घर में इकट्ठा होते हैं तो वे मोटू-पतलू ही देखते हैं।’