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भोपाल

बच्चों की पढ़ाई बनी बढ़ी मुसीबत, सरकार के पास भी नहीं है सॉल्यूशन

हमारा घर, हमारा विद्यालय योजना पर लगी रोक, अब ऑनलाइन क्लास लेंगे शिक्षक।

भोपालJul 26, 2020 / 07:19 pm

Hitendra Sharma

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भोपाल। लॉकडाउन के चलते स्कूल शिक्षा विभाग की हमारा घर, हमारा विद्यालय पर ब्रेक लग गया है। शिक्षक घरों से मोबाइल और वाट्सऐप के माध्यम से ऑनलाइन स्टडी मटेरियल और होमवर्क भेज रहे हैं। इस योजना पर ब्रेक लगने से मोबाइल से वंचित परिवारों के विद्यार्थियों तक शिक्षकों की पहुंच नहीं हो पाएगी। शिक्षकों से संपर्क के लिए विभाग ने फेसबुक लाइव का सहारा लेने की योजना बनाई है।

एक महीने में ही ब्रेक
स्कूल शिक्षा विभाग ने जुलाई के पहले सप्ताह में हमारा घर, हमारा विद्यालय योजना शुरू की थी। शिक्षकों को ऑनलाइन टीचिंग के अलावा मोबाइल सुविधा से वंचित विद्यार्थियों के घर पहुंचकर पढ़ाई करानी थी। योजना के तहत रोज पांच विद्यार्थियों के घर पहुंचना था।, लेकिन शिक्षक कोरोना के डर से घर जाने का विरोध कर रहे थे। योजना तीन सप्ताह ही चल सकी कि लॉकडाउन के चलते ब्रेक लग गया। इधर, स्कूल शिक्षा विभाग शिक्षकों से संपर्क करने के लिए फेसबुक लाइव का सहारा लेने जा रही है। २७ जुलाई को सुबह ११ बजे राज्य शिक्षा केन्द्र के आयुक्त लोकेश जाटव शिक्षकों से चर्चा करेंगे।

सिलेबस घटाने पर विचार
मध्यप्रदेश में प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं की ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है। हर कक्षा के कालखंड और कोर्स के लक्ष्य तय किए हैं। सिलेबस को कुछ कम करने पर मंथन चल रहा है। सरकारी स्कूलों के जिन विद्यार्थियों के पास मोबाइल नहीं है, उनके लिए जिला स्तर पर टीवी और आकाशवाणी प्रसारण के जरिए पढ़ाई की व्यवस्था की गई है। स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार के अनुसार ऑनलाइन पढ़ाई में चुनिंदा सिलेबस ही पढ़ाया जाना चाहिए, अभी इस पर विचार चल रहा है। विभागीय समीक्षा के बाद निर्णय लिया जाएगा।

स्पष्ट गाइड लाइन नहीं
देश प्रदेश में शिक्षा को ऑनलाइन करने को लेकर कोई स्पष्ट गाइड लाइन नहीं है। सरकारों की रीति-नीति, कोर्स और परीक्षा को लेकर यही हाल हैं। स्पष्ट गाइडलाइन नहीं होने से लाखों विद्यार्थियों की पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई है। सीबीएसई के बाद राजस्थान, यूपी, हरियाणा और गोवा में राज्य बोर्ड ने सिलेबस घटा दिया। मध्यप्रदेश में 30 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ में 20 प्रतिशत सिलेबस घटाने पर विचार चल रहा है।

ऑनलाइन क्लास चुनौती बने
अधिकतर राज्यों में ऑनलाइन क्लास के नाम पर पढ़ाई का दावा तो किया जा रहा है, लेकिन कितना कारगर है, यह स्पष्ट नहीं। सरकारी स्कूलों के बच्चों व शिक्षकों के लिए ऑनलाइन क्लास चुनौती बने हुए हैं। चार महीने बाद भी अब तक ज्यादातर राज्य तय नहीं कर पाए हैं कि पढ़ाई कैसे कराई जाए। स्कूल खुलेंगे या नहीं, पाठ्यक्रम कितना और कहां से कम हो? अधिकतर प्रदेशों में छात्रों को (बोर्ड परीक्षाओं समेत) बिना परीक्षा पास किया गया। मौजूदा सत्र में कक्षाएं और परीक्षाएं कैसे होंगी जैसे सवाल आज भी अभिभावकों व बच्चों के लिए पहेली बने हुए हैं।

ऑफलाइन टीचिंग मैथड से पढ़ाई
ऑनलाइन कक्षा में टीचिंग की तकनीक ऑफलाइन कक्षा की है। प्री-प्राइमरी व प्राइमरी ऑनलाइन क्लास में भी टीचर बोर्ड पर लिखकर पढ़ा रहे हैं, मोबाइल में जूम-गूगल मीट के माध्यम से क्लास चल रही है। बच्चों को कई बार बोर्ड पर लिखा दिखाता नहीं। ग्राफिक्स, टेबल की मदद से पढ़ाना अधिक कारगर है।

कनेक्टिविटी की दिक्कत
एक रिपोर्ट के अनुसार ऑनलाइन क्लास में बड़ा बाधक इंटरनेट बन रहा है। गांव तो दूर शहरों में तेज स्पीड इंटरनेट मिलने में परेशानी आ रही है। मोबाइल इंटरनेट से चार-पांच घंटे ऑनलाइन कक्षा ले पाना संभव नहीं है। दूसरी तरफ मोबाइल इंटरनेट में मिलने वाला दो-तीन जीबी डेटा जल्द खत्म हो रहा है। कोरोना काल में इंटरनेट के बढ़े इस्तेमाल को देखते हुए कंपनियों ने डेटा पैक भी मंहगे कर दिए हैं। पहले जहां दो-तीन जीबी इंटरनेट 300-400 रुपए में आ रहा है, अब कम्पनियों ने इसकी दोगुना कीमत वसूल रही है।

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