मध्य प्रदेश के गठन के वक्त यानि साल 1956 में पं. जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे, उस वक्त मध्य भारत के इस क्षेत्र में कई रियासतें अलग अलग हिस्सों में बंटी हुईं थीं। तब सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इन्हें एकजुट किया था और देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने इस नए प्रदेश को मध्य प्रदेश का नाम दिया था।
जवाहरलाल नेहरु भारत के पहले प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता के पहले और बाद में भारतीय राजनीति के मुख्य केंद्र बिंदु होने के साथ ही महात्मा गांधी के सहायक के तौर पर भारतीय स्वतंत्रता अभियान के मुख्य नेता थे। पं. नेहरू ने अंत तक भारत को स्वतंत्र बनाने के लिए लड़ाई की और स्वतंत्रता के बाद भी 1964 में अपनी मृत्यु तक देश की सेवा की। उन्हें आधुनिक भारत का रचयिता माना जाता है। वैसे तो पंडित संप्रदाय से होने के कारण उन्हें पंडित नेहरु कहा जाता था, लेकिन बच्चों से उनका लगाव कुछ ऐसा था कि उस वक्त उन्हें चाचा नेहरू के नाम से ही जाना जाता था और आज भी उनकी ये पहचान कायम है।
बनाया था भोपाल का आधुनिक स्वरूप
ऐसा माना जाता है कि मध्य प्रदेश की राजधानी अपने निर्माण के समय इतनी विकसित नहीं थी। इसके विकास की शुरूआत हुई तब, जब यहां पर भारतीय रेलवे और बीएचईल की नींव पड़ी। तब यहां पर देश भर से लोग काम करने आए और उन्होंने भोपाल को विकास की ओर ले जाना शुरू किया। भोपाल के विकास के लिए BHEL की जमीन आवंटन से लेकर इसकी नींव रखने और उसे देश को समर्पित करने में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का बड़ा योगदान माना जाता है। वे भेल भोपाल का लोकार्पण करने आए थे। उन्होंने भेल के सभी ब्लाकों का दौरा किया था और बारिकी से उत्पादन करने वाले कर्मचारियों से चर्चा की थी।
भोपाल दौरे पर विमान से मंगाई गई थी सिगरेट
एक बार नेहरू भोपाल दौरे पर थे, तब वे राजभवन आए हुए थे। उनकी सिगरेट खत्म हो गई थी। इसी दौरान नेहरू का 555 ब्रांड सिगरेट का पैकेट भोपाल में नहीं मिला। नेहरू को खाना खाने के बाद सिगरेट पीने की आदत थी। जब यहां स्टाफ को पता चला तो उन्होंने भोपाल से इंदौर के लिए एक विशेष विमान पहुंचाया। वहां एक व्यक्ति इंदौर एयरपोर्ट पर सिगरेट के कुछ पैकेट लेकर पहुंचा और वह पैकेट लेकर विमान भोपाल आया। राजभवन की वेबसाइट में इस रोचक प्रसंग का उल्लेख है।