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चिरायु-पीपुल्स के 4 डॉक्टरों की जमानत अर्जी खारिज

locationभोपालPublished: Jan 25, 2018 09:39:33 am

व्यापम में हुए पीएमटी 2012 परीक्षा घोटाले का मामला

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भोपाल। व्यापम में हुए पीएमटी 2012 परीक्षा घोटाले के मामले में जेल में बंद पीपुल्स मेडिकल कॉलेज के पूर्व डीन वीके पंड्या, चिरायु मेडिकल कॉलेज के कॉलेज लेवल एडमिशन कमेटी के सदस्य डॉ. विनोद नारखेड़े, हर्ष सालनकर और एके जैन की नियमित जमानत अर्जी अदालत ने खारिज कर दी है।

मेडिकल कॉलेज के कॉलेज लेवल एडमिशन कमेटी के चारों डॉक्टरों पर आरोप है कि उन्होंने डीएमई को गलत जानकारी देकर कॉलेज में अपात्र छात्रों का चयन कॉलेज में कराया था। चारों डॉक्टर जेल में बंद हैं। विशेष सत्र न्यायाधीश सीबीआई दिनेश प्रसाद मिश्रा ने जमानत अर्जियों पर सुनवाई के बाद बुधवार को यह आदेश दिये हैं। अर्जी पर सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से वकील सतीश दिनकर ने आपत्ति दर्ज कराकर बताया कि चिरायु और पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में अपात्र छात्रों का चयन डीएमई को गलत जानकारी देकर कराया गया है। इसके चलते पात्र छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ।

अदालत के अनुसार मेडिकल कॉलेजों में अपात्र छात्रों के चयन से पात्र छात्रों के भविष्य के साथ हुए खिलवाड़ की कल्पना नहीं की जा सकती। फर्जी चयन मेें कॉलेजों की कॉलेज लेवल एडमिशन कमेटी की भूमिका है। ऐसे में जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता।

ये है मामला
पीएमटी फर्जीवाड़ा 2012 में जांच के घेरे में आए प्राइवेट मेडिकल कॉलेज संचालक, व्यापमं और चिकित्सा शिक्षा के अधिकारियों पर सीबीआई ने शिकंजा कसा था। 23 नवंबर 2017 को 512 आरोपियों के खिलाफ भोपाल स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में आरोप पत्र दायर किया गया था। इन आरोपियों में चार निजी मेडिकल कॉलेजों के चेयरमैन शामिल हैं। सीबीआई के अनुसार नियमों का उल्लंघन करके प्रबंधन कोटे के तहत इन चार कॉलेजों में कुल 229 प्रवेश हुए जिसके लिए प्रति सीट 50 लाख से एक करोड़ रुपये वसूले गए।

पीपुल्स मंडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रवेश समिति सदस्य डॉ पियू देव महंत भी मामले में आरोपी हैं। महंत की अग्रिम जमानत अर्जी हाईकोर्ट से खारिज होने के बाद उन्होंने 18 दिसंबर 2017 को अदालत में सरेंडर किया था। तब से वे जेल में हैं। महंत की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल खरे, मनीषा खरे ने पक्ष रखा।

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