इसकी शिकायतें होने के बाद एफआईआर करवाई गई तो मैनेजिंग डायरेक्टर हीरालाल वैष्णव को जेल भेज दिया गया, लेकिन निवेशकों का पैसा नहीं मिला। इस पर निवेशकों ने उपभोक्ता फोरम में केस दायर किए। इस पर लंबी सुनवाई और बहस के बाद उपभोक्ता फोरम ने भोपाल सहित, सीहोर, रायसेन आदि जिलों के ३२ लोगों को २९ लाख ४९ हजार रुपए वापस करने के आदेश जारी किए।
फोरम के आदेश के बाद सभी ३२ लोगों को न्याय मिला, हालांकि अभी निवेशकों को जमा धन वापस नहीं मिला है। आम लोगों के साथ अनुचित प्रथा व अनुचित व्यापार के जरिए पैसा जमा करवाने को गंभीरता से लिया। निवेशकों के मामलों की सुनवाई के के बाद उपभोक्ता फोरम ने एकतरफा कार्यवाही करते हुए सभी पीडि़त निवेशकों को ब्याज सहित मूलधन वापस करने के आदेश दिए।
आदेश में यह भी कहा गया है कि निवेशकों द्वारा जमा की गई मूल रकम के साथ ही जमा दिनांक से पैसे देने की दिनांक तक २० प्रतिशत ब्याज दर से संपूर्ण पैसा चुकाया जाए। साथ ही पीडि़तों को मानसिक कष्ट के लिए ५ हजार और २ हजार रुपए कोर्ट फीस भी चुकाने के निर्देश दिए गए है। यह पैसा आदेश मिलने के दिनांक से २ महीने के भीतर दिया जाना है।
२० फीसदी ब्याज का किया था वादा निवेशकों से पैसा जमा करवाने के दौरान कंपनी व कंपनी के पदाधिकारी हीरालल वैष्णव, गुरुविंदर सिंह संधू, आशीष गुप्ता, मुनिंदर लितारे, अनिल कुमार शर्मा, विपिन सिंह यादव, बलजीत सिंह संधू और सचिन डामोर आदि ने वादा किया था कि २० फीसदी ब्याज सहित मूलधन १ साल में वापस लिया जा सकता है।
लेकिन ब्याज तो दूर मूलधन तक नहीं मिला। बाद में कंपनी के पदाधिकारियों ने मानसरोवर स्थित भोपाल का दफ्तर ही बंद कर दिया। इसके बाद निवेशकों को राशि मिलने की उम्मीद ही नहीं थी, लेकिन फोरम ने कई निवेशकों का पैसा वापस करने के आदेश जारी किए हैं।