इस ड्रोन में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) और सेंसर तकनीक का उपयोग किया जाएगा। खराब और अच्छे पौधों की पहचान के लिए इसमें इमेज प्रोसेसिंग तकनीक की मदद से की जाएगी। ड्रोन पूरी तरह स्वचालित होगा और इसको संचालित करना बहुत आसान होगा। महज कुछ बटन दबाकर किसान इसका उपयोग कर सकेंगे।
बताया जाता है कि यह ड्रोन इसी वर्ष तैयार हो जाएगा। सीआइएई इसे व्यवसायिक उपयोग के लिए विकसित करेगा। इस संबंध में दोनों संस्थानों के अधिकारियों में विस्तार से चर्चा हो चुकी है। प्रदेश में पहली बार इस तरह की तकनीक का उपयोग कृषि क्षेत्र में किया जाएगा।
देश के किसानों को डिजिटल और उच्च प्रौद्योगिकी वाली सेवाओं से जोड़ने के लिए किसान ड्रोन व रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके लिए केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2022-23 में बजट में घोषणा भी कर चुकी है। उसके बाद से ही सीआइएई और आइआइटी इंदौर इस क्षेत्र में नवाचार में जुटे हुए हैं।
ऐसे करेगा काम
— एआइ और इमेज प्रोसेसिंग तकनीक की मदद से खराब और अच्छी फसल, सब्जियों और फलों के फोटो लेकर एक सर्वर में रखे जाएंगे।
— ड्रोन में लगे सेंसर खेत में कीटनाशक छिड़काव से पहले फसल के केवल उन हिस्सों की पहचान करेंगे जिनमें कीट लग गए हैं या किसी तरह का रोग है।
केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल के अधिकारियों के अनुसार खेत में फसलों और फलों में 30 प्रतिशत तक कीट लगते हैं पर इनसे बचाव के लिए पूरी फसल पर कीटनाशक का छिड़काव करना पड़ता है। इससे न केवल खेती की लागत बढ़ जाती है बल्कि ज्यादा कीटनाशक के भी नुकसान हैं। नए ड्रोन से दिक्कतें खत्म होंगी.