मिती की स्कूलिंग भोपाल के सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल से हुई है। इसके बाद उन्होंने रायपुर स्थित हिदायतउल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है। ग्रेजुएशन कंप्लीट करने के बाद मिती सिविल जज की प्रिपरेशन के लिए एक वर्ष दिल्ली गईं, जहां एक वर्ष से भी कम समय में और पहले ही अटेम्प्ट में उनका चयन सिविल जज के लिए हो गया है। मिती ने बताया कि सिविल जज एग्जाम क्लियर करने के बाद सभी को 6 माह की ट्रेनिंग करवाई जाती है। जिसके बाद सिविल जजों के आदेशों के अनुसार नवीन जजों की पदस्थापना अलग-अलग जगह पर कर दी जाएगी। इस दौरान कोर्ट रूम में सुनवाई और अन्य तरह की ट्रैनिंग दी जाएगी।
मिती बताती हैं कि मुझे जो रैंक हासिल हुई है। उसके हिसाब से मेरी रैंक तो सबको दिखती है, लेकिन मेरे दादा पीके श्रीवास्तव दादी ऊषा श्रीवास्तव और माता-पिता द्वारा की गई मेहनत किसी को नहीं दिखती। मेरी सफ लता के पीछे सबसे बड़ा योगदान इन्हीं लोगों का है। जब कभी भी मैं निराश हो जाती थी या एग्जाम देने के बाद कभी भी परेशान हो जाती थी, तब मेरे पैरेंट्स ही मेरा हौसला बढ़ाते थे। मेरी परेशानियों में भी मेरे माता पिता और दादा दादी ने ही मेरा हौसला बढ़ाया। यदि मैं जज बनी हूं, तो इसके पीछे मेरे पूरे परिवार का ही सपोर्ट है, उन्होंने हमेशा साथ दिया।