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भोपाल की बेटी राजस्थान में बनेगी जज, भरतनाट्यम से दूर भगाती हैं तनाव

locationभोपालPublished: Nov 21, 2019 09:13:11 pm

राजस्थान सिविल जज की परीक्षा में पहले ही प्रयास में मिती ने सफलता अर्जित की है। मिती ने कहा, मेरी परेशानियों में भी मेरे माता पिता और दादा दादी ने मेरा हौसला बढ़ाया।

भोपाल की बेटी राजस्थान में बनेगी जज, भरतनाट्यम से दूर भगाती हैं तनाव

भोपाल की बेटी राजस्थान में बनेगी जज, भरतनाट्यम से दूर भगाती हैं तनाव

भोपाल. होशंगाबाद रोड स्थित दानिश नगर निवासी 24 वर्षीय मिती श्रीवास्तव ने राजस्थान सिविल जज की परीक्षा में पहले ही प्रयास में सफलता अर्जित की है। राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा आयोजित परीक्षा में मिती ने 67 रैंक हासिल की है। मिती के पिता सुधीर श्रीवास्तव वाटर एंड लैंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में इंजीनियर हैं। मां अनु श्रीवास्तव होशंगाबाद रोड स्थित संकल्प पब्लिक स्कूल में प्राचार्य हैं। अपनी इस सफलता पर मिती ने विशेष रूप से पत्रिका से बातचीत की और सिविल जज बनने के सफर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वहीं मिती भरतनाट्यम नृत्यांगना भी हैं। जब भी वे फ्री होती हैं या तनाव महसूस करती हैं, तो भरतनाट्यम करती हैं।
सेंट जोसेफ कॉन्वेंट में पढ़ी हैं मिती
मिती की स्कूलिंग भोपाल के सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल से हुई है। इसके बाद उन्होंने रायपुर स्थित हिदायतउल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है। ग्रेजुएशन कंप्लीट करने के बाद मिती सिविल जज की प्रिपरेशन के लिए एक वर्ष दिल्ली गईं, जहां एक वर्ष से भी कम समय में और पहले ही अटेम्प्ट में उनका चयन सिविल जज के लिए हो गया है। मिती ने बताया कि सिविल जज एग्जाम क्लियर करने के बाद सभी को 6 माह की ट्रेनिंग करवाई जाती है। जिसके बाद सिविल जजों के आदेशों के अनुसार नवीन जजों की पदस्थापना अलग-अलग जगह पर कर दी जाएगी। इस दौरान कोर्ट रूम में सुनवाई और अन्य तरह की ट्रैनिंग दी जाएगी।
मेरे पैरेंट्स ही मेरा हौसला बढ़ाते थे
मिती बताती हैं कि मुझे जो रैंक हासिल हुई है। उसके हिसाब से मेरी रैंक तो सबको दिखती है, लेकिन मेरे दादा पीके श्रीवास्तव दादी ऊषा श्रीवास्तव और माता-पिता द्वारा की गई मेहनत किसी को नहीं दिखती। मेरी सफ लता के पीछे सबसे बड़ा योगदान इन्हीं लोगों का है। जब कभी भी मैं निराश हो जाती थी या एग्जाम देने के बाद कभी भी परेशान हो जाती थी, तब मेरे पैरेंट्स ही मेरा हौसला बढ़ाते थे। मेरी परेशानियों में भी मेरे माता पिता और दादा दादी ने ही मेरा हौसला बढ़ाया। यदि मैं जज बनी हूं, तो इसके पीछे मेरे पूरे परिवार का ही सपोर्ट है, उन्होंने हमेशा साथ दिया।
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