बोबडे मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के पहले चीफ जस्टिस होंगे जो सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बनेंगे। हालांकि यहां के कई जस्टिस भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने हैं। जस्टिस बोबडे का पूरा नाम शरद अरविंद बोबडे है। अगर इनके नाम पर सहमति बन जाती है तो वो 18 नवंबर को अपना कार्यकाल संभाल लेंगे। उनका कार्यकाल 23 अप्रैल 2021 तक रहेगा।
एमपी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे एसए बोबडे
जस्टिस एसए बोबडे अपर न्यायधीश के रूप में 29 मार्च 2000 को बॉम्बे हाईकोर्ट की खंडपीठ का हिस्सा बने। वह 16 अक्टूबर 2012 को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने। 12 अप्रैल 2013 को सुप्रीम कोर्ट में उन्हें पदोन्नत किया गया। उसके बाद से वह सुप्रीम कोर्ट में ही जस्टिस हैं। राम मंदिर मामले की सुनवाई कर रही पीठ में भी जस्टिस एसए बोबडे हैं।
जस्टिस एसए बोबडे अपर न्यायधीश के रूप में 29 मार्च 2000 को बॉम्बे हाईकोर्ट की खंडपीठ का हिस्सा बने। वह 16 अक्टूबर 2012 को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने। 12 अप्रैल 2013 को सुप्रीम कोर्ट में उन्हें पदोन्नत किया गया। उसके बाद से वह सुप्रीम कोर्ट में ही जस्टिस हैं। राम मंदिर मामले की सुनवाई कर रही पीठ में भी जस्टिस एसए बोबडे हैं।
पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा भी एमपी में थे जस्टिस
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे दीपक मिश्रा भी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जज रहे हैं। उसके बाद पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश भी बने। जस्टिस मिश्रा दिल्ली हाईकोर्ट के भी चीफ जस्टिस रहे। 28 अगस्त 2017 को दीपक मिश्रा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बने। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्व फैसले लिए।
ये लोग भी बने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से जुड़े ऐसे तो कई लोग सुप्रीम कोर्ट में जज बने। लेकिन एसए बोबडे और दीपक मिश्रा से पहले भी यहां कई जज चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बने हैं। जिसमें पूर्व जस्टिस हिदायतुल्ला, जस्टिस जेएस वर्मा और जस्टिस आरसी लाहोटी का नाम शामिल हैं।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से जुड़े ऐसे तो कई लोग सुप्रीम कोर्ट में जज बने। लेकिन एसए बोबडे और दीपक मिश्रा से पहले भी यहां कई जज चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बने हैं। जिसमें पूर्व जस्टिस हिदायतुल्ला, जस्टिस जेएस वर्मा और जस्टिस आरसी लाहोटी का नाम शामिल हैं।
वहीं, अगर जस्टिस एसए बोबडे के नाम पर सहमति बन जाती है तो बतौर मुख्य न्यायधीश वह 18 नवंबर को पदभार ग्रहण करेंगे। जस्टिस बोबडे भारत के 47वें न्यायधीश होंगे। ऐसे में अब सबकी निगाहें कानून मंत्रालय पर टिकी हैं। चीफ जस्टिस गोगोई की सिफारिश को मंजूरी मिलती है कि नहीं।