मंत्री परमार ने नई शिक्षा नीति भारत को विश्व का सिरमौर बनाने की दिशा में आजादी के बाद उठाया गया सबसे महत्वपूर्ण कदम बताया। मातृभाषा में अध्ययन और अध्यापन की आवश्यकता बताई। प्रदेश में 5३ विश्व-स्तरीय स्कूल बनाए जा रहे हैं। शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार के लिए ३50 सीएम राइज स्कूल की स्थापना की जा रही है।
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महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष भरत बैरागी ने कहा कि शिक्षा रोजगारोन्मुखी हो, इस दिशा में काम करना होगा। माशिमं की अध्यक्ष रश्मि अरुण शमी ने कहा कि कार्यशाला के विषय पर एकरूपता लाने दिए सुझाव से नीति निर्धारण में सहायता मिलेगी।
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यह आए सुझाव
दिल्ली की डॉ. जयश्री ओझा ने कहा कि बुनियादी साक्षरता, संख्या ज्ञान और सहज ढंग से मूल्यांकन परध्यान दिया जाए।
बेंगलूरु से ऑनलाइन जुड़े एजुकेशनल इनिशिएटिव इंडिया संस्था के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी श्रीधर रागोपालन ने कहा, बच्चों के पाठ्यक्रम में उदाहरण सैद्धांतिक के बजाय प्रत्यक्ष वाले होने चाहिए।
राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक धनराजू एस. ने कहा, सीनियर क्लास के छात्रों का असेसमेंट करना आसान है लेकिन प्राथमिक कक्षाओं के लिए जटिल,इसलिए सर्वमान्य प्रणाली विकसित करनी होगी।
द एजुकेशन अलाइंस संस्था के प्रमुख अमिताभ विरमानी ने कहा कि प्राथमिक स्तर से ही बुनियाद इतनी मजबूत की जाए कि जो बच्चे मार्केट में जाएं, वे कुशल हों।
सीएसएसएल की वैजयंती शंकर बोलीं- आपको अगर बच्चों का पाठ्यक्रम बनाना है तो संवेदनशीलता के साथ करना होगा। मप्र के 47% बच्चे यह नहीं समझते कि वे याद कर सकते हैं।
एजुकेशनल इनीशिएटिव इंडिया के उपाध्यक्ष निश्चल शुक्ला ने रूपांतरण मूल्यांकन और शिक्षा शास्त्र विषय पर प्रेजेंटेशन दिया।
एनसीईआरटी में एलिमेंट्री एजुकेशन विभाग के एचओडी डॉ. अनूप कुमार राजपूत ने कहा, स्कूल में पढ़ा गया जीवभर काम आए, ऐसी नीति अब बनानी है।