अब तक स्कूल को नहीं मिल सकी खुद की बिल्डिंग
सूरज नगर स्थित यह स्कूल पहले प्राथामिक शाला तक था। वर्ष 2003 में इसको माध्यमिक, 2013 में हाईस्कूल और 2018 में हायर सेकेंडी कर दिया गया। तब से लेकर आज तक इस स्कूल को खुद की बिल्डिग़ नहीं मिल सकी है। शिक्षकों के मुताबिक जब इस स्कूल की शुरूआत हुई थी तब भी 10 कमरे थे और आज 12 वीं तक होने के बाद भी 10 ही कमरे हैं। कमरों की संख्या नहीं बढऩे से स्टूडेंट को किसी क्लास में बैठाए समझ में नहीं आता।
मानसून इस स्कूल के लिए आफत से कम नहीं है। शिक्षक बताते है कि कमरों में पानी टपकता है, इस कराण बारिश में यहां पढ़ाई मुश्किल हो जाती है।भवन की मरम्मत के लिए कई बार स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र लिखा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 5 जुलाई को भी स्कूल में बारिश का पानी भर गया था। अपदा प्रबधन के अधिकारियों ने अस्थाई नाली बनाकर जलभराव से निजात दिलाई।
इस स्कूल में करीब 750 स्टूडेंट पढ़ाई करने के लिए आते हैं। आसपास क्षेत्र का एक मात्र हायर सेकेंडरी स्कूल होने के कारण प्रतिवर्ष स्टूडेंट की संख्या बढ़ रही हैं। 10 वीं क्लास में अलग अलग सेक्शन होने के कारण स्टूडेंट के बैठने की सुविधा नहीं मिल पा रही हैं।
सूरज नगर शासकीय स्कूल की नई बिल्डिंग के प्रस्ताव के लिए फाइल भेजी गई हैं। बजट मिलते ही जगह चिन्हित कर नए भवन का निर्माण करवाया जाएगा।
धमेन्द्र शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी