भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकारी पैसे के खर्च में शुचिता, पारदर्शिता और मितव्ययता जरूरी है। ऑडिटर देखते हैं कि सरकारी पैसे के खर्च में शुचिता, पारदर्शिता और मितव्ययता के सिद्धांतों का पालन हो। ऑडिटर अनुपयोगी खर्च रोकने में सरकार की मदद करते हैं। इसलिए ऑडिट की नकारात्मक छवि को बदलना जरूरी है। ऑडिटर वास्तविक रूप में सजग, सचेत और सतर्क रहते हुए सरकार के हिसाब-किताब की बारीकी से जाँच करते हैं। ऑडिटर अनुपयोगी खर्च रोकने में सरकार के मददगार हैं।
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यह बात शिवराज ने सोमवार को मिंटो हॉल में लेखा परीक्षा जागरूकता सप्ताह में शासन के सुधार में लेखा परीक्षा की भूमिका विषय पर संगोष्ठी के शुभारंभ मौके पर कही। यहां शिवराज ने कहा कि देश में सरकारें अनेक प्रकार के दिवसों जैसे पर्यावरण दिवस, खेल दिवस, शिक्षक दिवस आदि का आयोजन करती हैं, लेकिन यह विडंबना रही है कि ऑडिट पर केंद्रित किसी दिवस का हमने विशेष रूप से आयोजन नहीं किया। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन का ही प्रभाव है कि उन्होंने ऑडिट संस्थाओं की नकारात्मक छवि को मिटाने के लिए पहली बार 16 नवंबर 2021 को ऑडिट दिवस मनाया। शिवराज ने कहा कि भारत में लेखा परीक्षा का इतिहास 160 वर्ष से भी अधिक पुराना है। एक संवैधानिक संस्था के रूप में सीएजी संस्था ने सरकार के हिसाब- किताब को अधिक से अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।
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सीएजी का महत्व समझो-
शिवराज ने कहा कि सीएजी संस्था के महत्व को समझने की जरूरत है। सीएजी की कर्त्तव्य-परायणता, संविधान के प्रति निष्ठा को ध्यान में रखते हुए सीएजी को सरकार का मित्र, पूरक और सहयोगी के रूप में देखने की आवश्यकता है। सीएजी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह सदा सजग, सचेत और सतर्क रहते हैं। ऑडिटर हर मामले पर अपनी निष्पक्ष और स्वतंत्र राय रखते हैं। वह सरकार के हिसाब- किताब की बारीकी से जाँच करते हैं। लोक लेखा, सार्वजनिक उपक्रम और प्राक्कलन समिति सदन के आँख- नाक- कान की तरह सहयोगी भूमिका निभाते हैं। प्रदेश में प्रधान महालेखाकार सभी विभागों के प्रमुख सचिवों, कार्यालय प्रमुख, जिला कलेक्टर्स, जन-प्रतिनिधियों आदि से मुलाकात कर लेखा परीक्षा कार्य-योजना के संबंध में विषयों और क्षेत्रों का निर्धारण कर रहे हैं। यह निश्चित ही एक सराहनीय पहल है। शिवराज ने निंदक नियरे राखिए- आँगन कुटी छवाय बिन पानी बिन साबुना निर्मल करे सुभाय दोहे का जिक्र करते हुए कहा कि लेखा परीक्षा करने वाले हमें यह बताते हैं कि काम में कहाँ-कहाँ सुधार की जरूरत है।
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समयबध्द कार्रवाई की जरूरत-
शिवराज ने कहा कि लेखा परीक्षक प्रतिवेदनों का अध्ययन कर उसमें उठाए गए मुद्दों को गंभीरता से लेकर समयबद्ध कार्यवाही की जाना सुनिश्चित की जाए। लंबित ऑडिट कंडिकाओं का समय-सीमा में निराकरण सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है। लेखा परीक्षा के लिए जो भी रिकॉर्ड माँगा जाए उसे बिना किसी विलंब के उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित किया जाए। लेखा परीक्षक भी गवर्नेंस की नई तकनीकों और पद्धतियों के अनुरूप स्वयं को ढालने का प्रयास करें। संगोष्ठी को प्रधान महालेखाकार डी साहू ने भी संबोधित किया।
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