डॉक्टर्स का कहना है कि सामान्य प्रसव हो या सिजेरियन, डिलवरी के एक घंटे में बच्चों ब्रेस्ट फीडिंग कराना अमृत के समान है। इससे न सिर्फ मां को कैंसर व मोटापे जैसी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है बल्कि बच्चों में भी दिमाग तेज, शरीर का विकास व बीमारियों से लडऩे की क्षमता पैदा होती है। अभी शहरी महिलाओं से ज्यादा ग्रामीण महिलाएं ब्रेस्ट फीडिंग कराती हैं, क्योंकि उनको फैमिली का सपोर्ट मिलता है। भोपाल जिले में पिछले साल करीब 50442 महिलाओं ने विभिन्न अस्पतालों में रजिस्ट्रेशन कराया। वहीं, 27,412 डिलवरी हुईं।
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2 घंटे के अंदर लेबर रूम में कराएं फीडिंग
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रश्मि विश्वकर्मा ने बताया कि सिजेरियन डिलीवरी के बाद नवजात को 2 घंटे के अंदर लेबर रूम में फीडिंग कराएं। उस समय पीले गाढ़े दूध में कोलेस्ट्रॉलकी मात्रा अधिक होती है, जो कई तरह की बीमारियों से बचाता है। साथ ही, फीडिंग कराने से वैट लॉस प्रॉब्लम कम होती है। यदि महिला को कैंसर या एचआईवी है तो भी वह ब्रेस्ट फीडिंग करा सकती हैं। फीडिंग कराने वाली महिलाएं डाइट में 260 ग्राम प्रोटीन शामिल करें।
हैवी डोज वाली महिलाएं फीडिंग कराने से बचे
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. नितिन वर्मा ने बताया कि वल्र्ड हेल्थ ऑगज़्नाइजेशन के अनुसार मां को नॉर्मल डिलीवरी में एक घंटे के अंदर व सिजेरियन डिलीवरी में 4 घंटे के अंदर दूध पिलाना चाहिए। कोई महिला डिप्रेशन की बीमारी के चलते दवाई का हैवी डोज ले रही हैं तो उन्हें फीडिंग से बचना चाहिए, क्योंकि इसका असर बच्चे पर भी हो सकता है। ग्रामीण महिलाएं फीडिंग करने में आगे हैं।
10 से 12 बार कराएं फीडिंग
वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति गुप्ता ने बताया कि ब्रेस्ट फीडिंग डिमांड और सप्लाई पर निभज़्र करता है। इंटरनेशनल ब्रेस्ट फीडिंग जर्नल के अनुसार शिशु को 24 घंटे में 10 से 12 बार स्तनपान करवाना चाहिए। सी-सेक्शन की वजह से मिल्क फार्मेशन में देरी हो सकती है लेकिन सही अंतराल पर शिशु को आसानी से फीड करवाया जा सकता है। परेशानी होने पर ब्रेस्ट पंप की मदद से हर दो से तीन घंटे में स्तनपान करा सकते हैं।