इन प्रावधानों का विरोध कर रहे हैं डॉक्टर
-सेक्शन 12(2) में प्रावधान है कि यदि रोगी इमरजेंसी में अस्पताल आता है तो उसे वो सभी सुविधाएं मुहैया करवाई जाएंगी, जिससे रोगी को स्टेबल किया जा सके। कानून में इसका जिक्र नहीं है कि इलाज का खर्च कौन उठाएगा।
-आईपीसी में लापरवाही से मौत पर दो साल की सजा का प्रावधान है, लेकिन नए एक्ट में सात साल की जेल का प्रावधान है।
-लापरवाही सामने आने पर नर्सिंग होम पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया जाएगा। इसे तय करने के मापदंड स्पष्ट नहीं किए गए।
-मरीजों को दी जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं की दर डॉक्टर की बजाय सरकार तय करेगी।
-सेक्शन 12(2) में प्रावधान है कि यदि रोगी इमरजेंसी में अस्पताल आता है तो उसे वो सभी सुविधाएं मुहैया करवाई जाएंगी, जिससे रोगी को स्टेबल किया जा सके। कानून में इसका जिक्र नहीं है कि इलाज का खर्च कौन उठाएगा।
-आईपीसी में लापरवाही से मौत पर दो साल की सजा का प्रावधान है, लेकिन नए एक्ट में सात साल की जेल का प्रावधान है।
-लापरवाही सामने आने पर नर्सिंग होम पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया जाएगा। इसे तय करने के मापदंड स्पष्ट नहीं किए गए।
-मरीजों को दी जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं की दर डॉक्टर की बजाय सरकार तय करेगी।
मरीजों के हित में ये कानून बेहद जरूरी है। इससे कई आपराधिक गतिविधियों पर रोक लगेगी। सही काम करने वाले अस्पतालों को इससे डरने की जरूरत नहीं है।
अमूल्य निधि, राष्ट्रीय संयोजक, जन स्वास्थ्य अभियान, मप्र
नए एक्ट से मरीजों को सबसे ज्यादा फायदा होगा। इसमें जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन ये उनके लिए है जो गड़बड़ी कर रहे हैं। हालांकि जुर्माने को कम करने पर सहमति बन गई है।
प्रो. तपन मोहंती, डीन, एनएलआईयू, भोपाल
अमूल्य निधि, राष्ट्रीय संयोजक, जन स्वास्थ्य अभियान, मप्र
नए एक्ट से मरीजों को सबसे ज्यादा फायदा होगा। इसमें जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन ये उनके लिए है जो गड़बड़ी कर रहे हैं। हालांकि जुर्माने को कम करने पर सहमति बन गई है।
प्रो. तपन मोहंती, डीन, एनएलआईयू, भोपाल