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कई सरकारी कार्यालयों में बंद हुई जनसुनवाई

locationभोपालPublished: Jan 16, 2019 01:33:03 am

Submitted by:

Bharat pandey

अफसरों की मनमानी: शिकायतें लेकर भटकने को मजबूर हैं पीडि़त

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कई सरकारी कार्यालयों में बंद हुई जनसुनवाई

भोपाल। आम लोग अपनी समस्याएं अधिकारियों तक पहुंचाकर उनका जल्द समाधान करा सकें, इसके लिए शासन ने जनसुनवाई की शुरुआत की थी। मंगलवार को सभी शासकीय कार्यालयों में इसे अनिवार्य किया गया। इस दिन किसी प्रकार की बैठकें भी नहीं रखी जाती हैं ताकि जनसुनवाई प्रभावित नहीं हो। लेकिन अब जनसुनवाई ज्यादातर कार्यालयों के लिए महज औपचारिकता बन गई है। कुछ सरकारी दफ्तरों में तो यह बंद ही हो गई है। केवल कलेक्टर कार्यालय में सबसे ज्यादा भीड़ रहती है। जनसुनवाई में अपनी शिकायत लेकर आने वाले भी निवारण के लिए महीनों भटकते रहते हैं। पत्रिका ने मंगलवार को कुछ प्रमुख कार्यालयों में जनसुनवाई का जायजा लिया।

सुबह साढ़े दस बजे से दो बजे तक डीआईजी की चौखट पर भूखे-प्यासी बैठी रहीं महिलाएं सुबह साढ़े दस बजे से इंसाफ की आस में डीआईजी की जनसुनवाई में पहुंचे आधा दर्जन पीडि़तों का कोई आवेदन लेने वाला तक नहीं था। दोपहर दो बजे तक पीडि़त अफसरों की चौखट पर टकटकी लगाए बैठे रहे। अंत में निराश होकर कई अपने-अपने घर लौट गए। मंगलवार दोपहर करीब दो बजे का वक्त रहा होगा। डीआईजी ऑफिस की सीढ़ी के पास पुलिस की एक कार आकर रुकी। कार से एक डीएसपी उतरकर सीधे अपने दफ्तर में घुस गए। खाकी वर्दी देख प्रतिक्षा कक्ष में बैठीं तीन महिलाएं, दो युवक हाथ में कागज का पन्ना लिए कमरे से निकल आते हैं। महिलाएं डीआईजी के अरदली से कहती हैं, भाई साहब मैं सुबह दस बजे से बैठी हूं, मुझे पहले भेजना। अरदली महिलाओं को बताता है- कार से उतरने वाले डीआईजी साहब नहीं हैं..। यह सुन वे निराश होकर फिर कमरे में बैठ जाती हैं। आखिरी में निराशा ही हाथ लगती रही। इसके बाद अरदली ने कहा कि जनसुनवाई का वक्त पूरा हो गया। साहब, नहीं आएंगे। अगले मंगलवार को आना..।

 

मप्र हाउसिंग बोर्ड और बीडीए
मप्र हाउसिंग बोर्ड, भोपाल विकास प्राधिकरण में तो पिछले दो सप्ताह से जनसुनवाई नहीं हो रही है।
बीडीए : दोपहर 12 बजे एमपी नगर बीडीए परिसर में आम दिनों की तरह चहल पहल दिखी। अंदर कार्यालय में जनसुनवाई का पुराना बोर्ड तो दिखा लेकिन कोई अधिकारी जनसुनवाई करता दिखा नहीं। बाबुओं से पूछने पर पता चला कि शिकायतें सुनने और रिसीव करने का काम पहले अध्यक्ष स्वयं करते थे लेकिन उनके जाने के बाद से अधिकारी अपने विभाग के हिसाब से प्रकरण सुन लेते हैं।
हाउसिंग बोर्ड: दोपहर 12.30 बजे पर्यावास के तीसरे तल पर अपर आयुक्त एसके मैहर अपने कक्ष में नहीं थे। आयुक्त रविंद्र सिंह के कक्ष में अधिकारियों की बैठक चल रही थी। बाबुओं ने बताया कि जनसुनवाई के लिए अलग से कक्ष बनाया गया है जिसमें अधिकारियों की ड्यूटी लगाई जाती है। इस बार मीटिंग की वजह से जनसुनवाई नहीं हो रही है। इधर कई आवेदक बाबूओं की टेबल पर देखे गए।

पड़ोस में रहने वाली लडक़ी ने मेरे पति को गलत फंसाया है। थाना स्तर पर सुनवाई नहीं हो रही है। इसलिए सुबह साढ़े दस बजे डीआईजी की जनसुनवाई में आवेदन देने आई थी।
रिजवाना, फरियादी

गांव के दबंग ने मेरी दो दुकानों के फर्जी दस्तावेज तैयार कर 10 लाख रुपए का बैंक से लोन निकाल लिया है। कलेक्टर कार्यालय से डीआईजी ऑफिस भेजा गया। ग्यारह बजे से दो बज गए लेकिन कोई आवेदन नहीं ले रहा। – इशरार शाह, फरियादी

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लोक शिक्षण संचालनालय : कर्मचारियों को ही नहीं पता किस कमरे में होती है सुनवाई
दोपहर 12.15 बजे लोक शिक्षण संचालनालय में रोजाना की तरह सामान्य आवाजाही ही थी। आयुक्त के कक्ष के बाहर कुछ मुलाकाती बैठे हुए थे। क्या आयुक्त कक्ष में जनसुनवाई चल रही है, पूछने पर आयुक्त के स्टॉफ ने बताया सैकेण्ड फ्लोर पर समन्वय कक्ष में जनसुनवाई चल रही है। समन्वय कक्ष में पहुंचने पर बताया गया यहां नहीं इसी फ्लोर पर दूसरी ओर जनसुनवाई जारी है। वहां से बताया गया आप कमरा नम्बर 202 में जाइए वहां जनसुनवाई होगी। कमरा नम्बर 202 ढूंढने पर बताया गया उप संचालक राजेश तिवारी जनसुनवाई करते हैं। ग्राउण्ड फ्लोर पर उनके कक्ष में चले जाइए। ग्राउण्ड फ्लोर पर उप संचालक का कक्ष खाली था। करीब आधा घंटे के इंतजार के बाद आयुक्त जयश्री कियावत को जनसुनवाई के इस ढर्रे के बारे में अवगत कराया गया तो उन्होंने इसे गलत बताते हुए मामले को दिखवाने और व्यवस्थाओं में सुधार लाने की बात कही।

नगर निगम- केवल 6 आवेदन ही पहुंचे
नगर निगम की जनसुनवाई में मंगलवार को अपर आयुक्त मल्लिका निगम नागर शिकायतकर्ताओं का इंतजार करती रहीं। महज छह लोग ही पहुंचे। यहां माता मंदिर स्थित निगम मुख्यालय में हुई जनसुनवाई में नागरिकों ने चेम्बर की सफ ाई कराने, अयोध्या नगर जी-सेक्टर से अतिक्रमण हटाने, चूना भट्टी में अवैध निर्माण व अतिक्रमण हटाने की शिकायत की।

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