एक ओर नगर निगम अधिकारी महज एक व्यक्ति पर 500 रुपए का अर्थदंड लगाकर इस प्रकरण को भूल गए, वहीं दूसरी ओर आज भी उसी गंदे पानी में कपड़ों की धड़ल्ले से धुलाई की जा रही है। उल्लेखनीय है कि एमपी नगर से रचना नगर जाने वाले अंडरब्रिज के पास नाले के गंदे पानी में हॉस्पिटल, टेंट हाउस की चादरें, तकिए के कवर, स्टाफ के कपड़े, गाउन आदि धोए जाने का मामला पत्रिका एक्सपोज ने 26 जनवरी 2019 के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
इन कपड़ों को धोने के बाद वहीं खुले में ही सुखा दिया जाता है। ये कपड़े जहां सुखाएं जाते हैं, वहां जानवरों की गंदगी, मल-मूत्र, कचरा आदि पड़ा रहता है। ऐसे में संक्रमण की प्रबल आशंका रहती है। इसके सिवा शहर में मोतिया तालाब, पातरा पुल नाला के पास, छोटे तालाब पर खटलापुरा घाट के पास, कोलार क्षेत्र के नालों के गंदे पानी में कपड़े धोए जाते हैं।
रचना नगर अंडरब्रिज के पास कपड़े धोने वाले इन लोगों का कहना है कि वे करीब आठ-दस वर्षों से यहां कपड़े धोते आ रहे हैं। उनके पास कोई साफ पानी में कपड़े धोने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था न होने के कारण इस गंदे पानी में ही कपड़े धो रहे हैं। इस स्थान पर कपड़े धोने वाले अधिकांश लोग वल्लभ भवन के पास स्थित भीम नगर बस्ती के रहने वाले हैं।
ये लोग कपड़े धोने के लिए सुबह 4 बजे से यहां आकर काम शुरू कर देते हैं और शाम को 6-7 बजे तक कपड़े धोते हैं। कपड़े धोने वालों ने बताया कि एमपी नगर क्षेत्र का पूरा सीवेज यहां से गुजरता है, जिससे साल के बारहों महीने नाले में पानी बना रहता है। यह और बात है कि इस पानी के पास आम आदमी खड़ा भी नहीं हो सकता। संक्रमित पानी के कारण कपड़े पहनने और इस्तेमाल करने वालों को भी त्वचा, आंख आदि के संक्रमण की प्रबल आशंका रहती है।
मैंने वहां जाकर नाले में कपड़े धोने वालों को समझाया था कि गंदे पानी में कपड़े नहीं धोएं। एक व्यक्ति का पांच सौ रुपए का चालान भी किया था। यदि वे फिर से वहां पर कपड़े धो रहे हैं तो मैं सामान जब्त करने की कार्रवाई करूंगा।
– रवि बाथम, एएचओ, नगर निगम