इसी के चलते कमलनाथ सरकार ने सुशासन के लिए सीएम हेल्पलाइन का ऑडियो ऑडिट कराने की तैयारी कर ली है। इसके तहत सीएम हेल्पलाइन में आने वाले फोन कॉल्स की रेंडम जांच होगी। इसमें चुनिंदा फोन कॉल्स मुख्यमंत्री कमलनाथ के स्तर पर भी सुने जाएंगे।
इससे हेल्पलाइन के कस्टमर केयर के समस्या निराकरण की भी जांच हो सकेगी। यदि कोई कस्टमर केयर गलत व्यवहार करता है तो उसका पैसा भी काटा जाएगा। इसके अलावा 15 साल के हेल्पलाइन के डाटा का एनालिसिस करके प्री-प्लान तैयार किया जाएगा, ताकि एक समान सीजनल शिकायतों के लिए त्वरित निराकरण की व्यवस्था पहले से की जा सके।
इसमें अलग-अलग सेक्टर की शिकायतों का डाटा तैयार किया जाएगा। कमलनाथ सरकार ने सीएम हेल्पलाइन को अधिक प्रभावी बनाने के लिए इसे रिफार्म करना तय किया है। इसमें हेल्पलाइन को इस प्रकार तैयार किया जाएगा कि शिकायतकर्ता को तुरंत राहत मिले और शिकायतों को रोका जा सके।
ऐसी है स्थिति
सीएम हेल्पलाइन में औसत 40 हजार फोन कॉल्स हर दिन आते हैं। करीब आठ हजार शिकायतों से संबंधित और करीब 17 हजार फोन सरकारी योजनाओं की जानकारी लेने के लिए आते हैं। हेल्पलाइन में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, कर्मचारी समस्या, सर्विस रेकॉर्ड, सड़क, पुलिस-अपराध सहित अन्य प्रकार की शिकायतें अधिक आती हैं।
शिवराज सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट
सीएम हेल्पलाइन पिछली शिवराज सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट था। इसे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुरू किया था।
इसमें शिकायतों के निराकरण की संख्या ज्यादा थी, लेकिन जनता को शिकायत रहती थी कि उनकी शिकायतों को कागजी तौर पर निपटाया जाता है। राहत मिले बिना ही सीएम हेल्पलाइन में ंउनकी शिकायतों को खत्म बता दिया गया। इसे लेकर पिछली सरकार में जब-तब सीएम हेल्पलाइन विवादों में भी आती रही है।
ऐसे होगा ऑडिट और एनालिसिस
ऑनएयर बातचीत को आला अफसर रेंडमली सुनेंगे। इसमें शिकायतकर्ता व कस्टमर केयर प्रतिनिधि के संवाद को सुना जाएगा। कहीं कस्टमर केयर प्रतिनिधि की सर्विस में कमी रहती है या वह गलत तरीके से जवाब देता है तो उसे दुरुस्त किया जाएगा।
साथ ही उस पर कार्रवाई भी होगी। दूसरा, पहले से मौजूद ऑडियो रिकॉर्डिंग को सुना जाएगा। इसमें ऑडियो सुनकर शिकायतकर्ता व कस्टमर केयर प्रतिनिधि के व्यवहार पर एनालिसिस होगा। इससे आगे के बातचीत को लेकर कस्टमर केयर को प्रशिक्षित भी किया जा सकेगा।
डाटा एनालिसिस के लिए 15 साल का डाटा निकाला जाएगा। इसमें सीजनल व सेक्टरवाइज शिकायतें अलग की जाएंगी। मसलन, बारिश में किस प्रकार की शिकायतें आती हैं।
बिजली जाने, पानी भराने सहित अन्य शिकायतों का श्रेणीकरण करके बारिश आने के पहले ही इस प्रकार की शिकायतों के निराकरण का सिस्टम विकसित किया जाएगा। गर्मी में किस प्रकार की शिकायतें रहती है, वैसा निराकरण सिस्टम विकसित होगा। नगर-निगम, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सेक्टर्स की शिकायतों का श्रेणीकरण कर सर्विस डिलीवरी सिस्टम तैयार किया जाएगा।