उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री अगर वीरगाथा में पड़े रहे तो जमीन कब खिसक जाएगी, पता ही नहीं चलेगा।
जवाब में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, मैं नहीं मानता कि किसानों के बीच पहुंचने और फोटो खिंचवाने से कोई समाधान हो सकता है। ओला-पाला के दौरान इसलिए नहीं पहुंच पाया, क्योंकि तब व्यस्त था, लेकिन जानकारी लेकर समाधान में लगा था। यह तकरार अविलंबनीय लोक विषय की चर्चा के बीच हुई।
शिवराज के आरोप, कमलनाथ का पलटवार
कर्जमाफी पर बात साफ होना चाहिए, बैंकों को जब तक पैसा नहीं देंगे, तब तक कर्ज माफ नहीं होगा। एनओसी से किसानों का कर्जमाफ नहीं होगा।
कमलनाथ – 5 मार्च को बताएंगे कि कर्ज कैसे माफ किया। 16 दिन में 25 लाख किसानों का कर्ज माफ करेंगे। ये चुनावी घोषणा नहीं थी, ये विश्वास की घोषणा थी।
कमलनाथ – मुझे तो यह तथ्य पता नहीं था। मेरी सरकार बनने के बाद आपके ही नेताओं ने सरकार का खजाना खाली होने की बात कही है।
कमलनाथ – मैं इसका परीक्षण करा लेता हूं। अगर जरूरत पड़ती है तो प्रदेश में खरीदी केंद्र बढ़ाए जाएंगे।
कमलनाथ – इन्हें (मंत्री व कांग्रेसी विधायकों की ओर इशारा करते हुए) अभी सत्ता पक्ष का एहसास नहीं हो रहा और सामने बैठे लोगों को विपक्ष में होने का, इसलिए ऐसी स्थिति बन रही है। धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा।
किसानों को ओला-पाला का मुआवजा नहीं मिला। पूरी तरह से उनकी धान की खरीदी नहीं हुई। जबेरा मंडी में प्रति बोरा सवा किलो ज्यादा धान लिया गया।
कमलनाथ – सर्वे करा रहे हैं। धान खरीदी को दिखवा लेंगे। जो भी आप के सुझाव होंगे, वे स्वीकार करेंगे। किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरने से प्रदेश मजबूत होगा।
मंत्री ने शिवराज पर लगाए आरोप
ओला-पाला से किसानों के नुकसान पर चर्चा के दौरान शिवराज के आरोप पर खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर बीच में खड़े होकर टोका-टोकी करने लगे। इस पर अध्यक्ष एनपी प्रजापति को हस्तक्षेप करते हुए कहना पड़ा कि आप को भी मौका दिया जाएगा, अभी बैठ जाएं।
पूर्व मुख्यमंत्री चौहान के एक घंटे के भाषण के दौरान मंत्री तोमर करीब 25 बार खड़े हुए। हर बार यही कहते रहे कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सदन को गुमराह कर रहे हैं। मैं सदन को गुमराह नहीं होने दूंगा। पांच मंत्रियों ने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन वे मानने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे। बाद में गैस राहत मंत्री आरिफ अकील ने उन्हें समझाया और वे सदन की कार्रवाई चलने तक उनके पास में बैठे रहे।