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विशेष बातचीत : क्या भाजपा नेताओं ने पत्नियों के गहने बेच हजार करोड़ का ऑफिस बनवाया

locationभोपालPublished: May 08, 2019 11:36:26 am

Submitted by:

KRISHNAKANT SHUKLA

सरकार और खुद पर लगे आरोपों पर मुख्यमंत्री कमलनाथ का पलटवार – 75 दिन कर्जमाफी जैसे कामों में बीत गए, भाजपा के घोटाले चुनाव बाद खंगालूंगा

kamal nath hindi interview

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जिनेश जैन, भोपाल. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ लोकसभा चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर आश्वस्त दिखाई देते हैं। उनका दावा है कि कांग्रेस प्रदेश में 29 में से 22 सीटें जीत रही है। विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने कांग्रेस पर जो भरोसा जताया, वह लोकसभा चुनाव में भी बरकरार रहेगा।

उनकी सरकार पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों पर मुख्यमंत्री भाजपा से सवाल करते हुए कहते हैं कि दिल्ली में भाजपा का एक हजार करोड़ रुपए का ऑफिस बना है, क्या भाजपा नेताओं ने अपनी पत्नियों के गहने बेचकर इसे बनवाया है।

कर्जमाफी के सवाल पर कहा कि 21 लाख किसानों का कर्ज माफ हुआ है। नाम और नंबर देने के लिए तैयार हूं, लेकिन मुझे शिवराज सिंह से कोई सर्टिफिकेट नहीं चाहिए। सरकार के 75 दिन का हिसाब देने को भी तैयार हूं, लेकिन पहले शिवराज सिंह भी 15 साल का हिसाब दें। पेश है पत्रिका से विशेष बातचीत के प्रमुख अंश…

आपकी चार माह की सरकार है। आपकी विफलताओं को भाजपा निशाना बना रही है?

मुझे काम करने के लिए 75 दिन मिले। इसका हिसाब दे सकता हूं। किसानों की कर्जमाफी शुरू की। पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 27 फीसदी किया। बिजली बिल कम किया। शिवराज 15 साल का हिसाब दे दें तो मैं 75 दिन का देने को तैयार हूं।
आरोप लग रहे हैं कि पैसे लेकर तबादले हो रहे हैं।

भाजपा जो करती थी, वह सोच रही है कि हम भी वही कर रहे हैं। 15 साल बाद हमारी सरकार बनी…वो सोचते थे कि हम उनका तबादला न करें जो मलाईदार पदों पर बैठे हैं या सरकार में किनारे किए गए थे। हमारा लक्ष्य था कि जो पद पर ज्यादा समय से थे, उन्हें दूसरी जिम्मेदारी दें और जो किनारे पड़े हैं उन्हें बाहर लेकर आएं। जिनका राजनीतिककरण हुआ…जो भाजपा का बिल्ला जेब में लिए घूमते थे, उनका किया है और अभी फिर करेंगे।
चुनाव से पहले करीबियों पर आयकर छापे पड़े, कहा गया कि यह भ्रष्टाचार का पैसा है?

जिसके यहां पैसा मिला है, उसने मीडिया के सामने कह दिया कि वह भाजपा से जुड़ा है। मेरे से जुड़े अफसर के यहां छापा डाला, वहां कुछ मिला नहीं। ये जो मुझे दबाने की कोशिश कर रहे थे, उसमें खुद ही फेल हो गए। ये भ्रष्टाचार के पैसे की बात करते हैं तो मैं पूछता हूं कि जो दिल्ली में भाजपा का एक हजार करोड़ रुपए का ऑफिस बना है, क्या भाजपा नेताओं ने अपनी पत्नियों के गहने बेचकर इसे बनवाया है। जो पैसा ये चुनाव में खर्च कर रहे हैं, क्या यह पत्नी के जेवर और जमीन बेचकर ला रहे हैं?

आपने विधानसभा चुनावों में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के घोटालों का जिक्र किया था, पर सरकार बनने के बाद शांत हो गए। आयकर छापे पड़े तो घोटालों की फाइलें तलाशी जाने लगी, ऐसा क्यों?

मुझे 120 दिन मिले। मेरे पास काम करने के लिए 75 दिन थे। यह समय तो लोगों को पहचानने और घोटालों को जानने में ही निकल गए। मैं 75 दिन किसानों का कर्ज माफ करने में लगाऊं या फिर घोटाला खोलने में। घोटाला तो चुनाव बाद भी खोल ही सकता हूं।

कहा जा रहा है कि दिग्विजय सिंह को भोपाल लाकर उन्हें फंसाया गया है?

मैंने दिग्विजय सिंह को फंसाया नहीं है, समझाया था। मैंने कहा था कि आप राज्यसभा के सदस्य हैं। आप सबसे कठिन सीट से लडि़ए, तब आप संदेश देंगे। मैं क्यों उन्हें फसाऊंगा…वो मेरे नजदीक हैं।

प्रदेश में सवाल खड़ा हो रहा है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ दोस्ताना रिश्ते निभा रहे हैं?

कोई मेरा टारगेट नहीं है और उन्होंने भी कहा था कि वे मेरे मित्र हैं। मैंने भी कहा था कि वे मेरे मित्र हैं। मैंने तो एक बयान दिया था कि कुछ मित्र नालायक भी होते हैं। शिवराज सिंह मेरे प्रतिद्वंद्वी तो हो सकते हैं, लेकिन दुश्मन नहीं।

व्यापमं और बुंदेलखंड पैकेज की जांच कराने की बात राहुल गांधी ने कही है, कब तक शुरू होगी?

व्यापमं की जांच होनी चाहिए, बहुत बड़ा घोटाला है। मुझे प्रदेश चलाना है, किसी के पीछे नहीं पडऩा है। लेकिन सच्चाई को भी सामने लाना है। हम व्यापमं की सच्चाई को सामने लाएंगे। बुंदेलखंड में हजारों करोड़ रुपया मिला, लेकिन वहीं के लोग कह रहे हैं कि इन लोगों (भाजपा) ने पूरा पैसा चोरी कर लिया है।

गुना में बसपा प्रत्याशी को कांग्रेस में लाना जानबूझकर किया गया काम था, जिससे मायावती नाराज हों?

नहीं, यह जानबूझकर नहीं था। भाजपा प्रत्याशी उनके संपर्क में थे, लेकिन वे कांग्रेस में आना चाहते थे। मायावती को यह बात सही नहीं लगी, लेकिन हमारा और मायावती का लक्ष्य एक है। मैं गठबंधन को प्राथमिकता नहीं देता पर लक्ष्य को देता हूं। लक्ष्य है भाजपा को पराजित किया जाए। अगर लक्ष्य सबका एक है तो कोई समस्या नहीं लगती। लोकसभा चुनाव के बाद सबका लक्ष्य भी यही होगा, सब एक हो जाएंगे।

आपकी सरकार पर ढाई सीएम के आरोप लग रहे हैं, क्या सुपर सीएम या ढाई सीएम की स्थिति है?

ऐसे आरोप वो लगा रहे हैं जिनकी वन मैन पार्टी और टू मैन आर्मी है। इनकी सोच और मानसिकता यही है। मोदी इटारसी में कह रहे थे कि कांग्रेस मरवाना चाहती है। मरवाने व काटने की मानसिकता मोदी की है, कांग्रेस की नहीं। हम तो चाहते हैं कि मोदी जी स्वस्थ्य रहें और आराम से घर जाएं।


दो राउंड हो गए, कांग्रेस को 29 में से कितनी सीटें मिल रही हैं?

13 सीटों पर मतदान हो चुका है। उनमें कांग्रेस बेहतर करेगी। प्रदेश के लोग समझ गए हैं कि पांच साल की केंद्र सरकार ने किस तरह से उन्हें ठगा है। सब कुछ स्वीकार कर सकता है हमारा मतदाता, लेकिन उसे ठगा जाए, यह वह कतई स्वीकार नहीं कर सकता है। 15 लाख रुपए, रोजगार, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया जैसे वादे खोखले निकले हैं।

मोदी इस पर बात नहीं कर रहे हैं। ये राहुल गांधी पर बात करेंगे, जवाहर लाल नेहरू की बात करेंगे, पाकिस्तान की बात करेंगे, लेकिन देश के भविष्य की बात नहीं करेंगे। देश का भविष्य जुड़ा हुआ है रोजगार से, अर्थव्यवस्था से, सामाजिक योजनाओं से। यह पहला चुनाव देश में हुआ है, जिसमें पीएम केवल व्यक्तिगत आरोप और अपशब्दों के जरिए अपना प्रचार कर रहे हैं। हमारी 22 सीटें आएंगी। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और उज्जैन…यहां भाजपा का पसीना निकल रहा है।

जिस तरह से वोट प्रतिशत बढ़ा है, उसे भाजपा अपने पक्ष में बता रही है?

देखिए, वोट प्रतिशत घटता है तो भी भाजपा कहती कि उन्हें फायदा हो रहा है। बढ़ता है, तब भी वे कहते हैं कि उन्हें फायदा है। अगर वोट नहीं डलते, तब भी कहते है कि उन्हें फायदा है। ये तो उनका प्रोपेगेंडा है। वोट बढ़ा है, क्योंकि हमारी मतदाता सूची सही है। हमने पिछले साल फर्जी मतदाता सूचियों की शिकायत की थी।


किसान कर्जमाफी आपका ब्रह्मास्त्र था, लेकिन भाजपा कह रही है कि कर्जमाफी नहीं हुई है?

देखिए, भाजपा की राजनीति और प्रचार का आधार ही झूठ है। मुझे शिवराज सिंह चौहान से कोई सर्टिफिकेट नहीं चाहिए। मुझे तो किसानों से सर्टिफिकेट चाहिए। अब तक जिनका कर्जा माफ हुआ है, मैं उन 21 लाख किसानों के नाम-पते और मोबाइल नंबर दे सकता हूं।

भाजपा का आरोप है कि दो लाख रुपए का कर्ज किसी भी किसान का माफ नहीं हुआ है?

मैं आपको पैन ड्राइव दे सकता हूं। हमने कहा था कि हम फसल का कर्ज माफ करेंगे। किसी ने मकान बनाने के लिए लोन लिया है, उसका कर्ज हम माफ नहीं करेंगे। अब ये लोग (भाजपा) उनके पास जाते हैं, जिन्होंने ट्रैक्टर के लिए लोन लिया है। उससे पूछते हैं कि कर्ज माफ हुआ है, वो कहता है नहीं हुआ है। हां, ये सच है। हमने कभी नहीं कहा था कि उसका कर्ज माफ होगा।


क्या मैदानी अमला चुनावी दौर में सरकार के साथ नहीं चल रहा है? क्या यह मैनेजमेंट की चूक है या कुछ और वजह?

मैनेजमेंट की कमी नहीं है। भाजपा के लोग उन कर्मचारियों के साथ यह सब कर रहे हैं, जिनका भाजपाकरण हो रखा है। बिजली के तार काट रहे हैं…शॉर्ट सर्किट कर रहे हैं। उनके पास बचा कुछ नहीं है।

क्या अजय सिंह नाराज हैं…सतना से चुनाव लडऩा चाहते थे, पार्टी ने सीधी भेजा?

अजय सिंह अपने चुनाव में व्यस्त थे, इसलिए चुनाव प्रचार में नहीं दिख रहे थे। अब जा रहे हैं दूसरे क्षेत्रों में। सीधी तो उनका गृहक्षेत्र है। पिछली बार सतना तो हमने उनको जबरदस्ती लड़वाया था, उस समय वह सीधी से लडऩा चाहते थे। इस बार सीधी भेज दिया।

आयकर छापों के बाद ई-टेंडर की फाइल खुली, क्या यह बदले की कार्रवाई है?

मेरा कोई टारगेट नहीं है। मुझे तो खुलासा करना है मध्यप्रदेश के सामने। ई-टेंडर की जहां तक बात है तो इसकी जांच खुद शिवराज सिंह ने भेजी थी। जब जांच हो गई तो एफआइआर दर्ज हो गई। जो सच्चाई होगी, सामने आएगी।

क्या चुनाव के बाद सरकार का रुख बदलेगा, सकारात्मक होगी या फिर आक्रामक?

देखिए, हमें सबसे पहले व्यवस्था में परिवर्तन करना होगा। यह केवल नीति और नियम से नहीं होगा। हमारे निवेश की नीति क्या हो, रोजगार बड़ी चुनौती है। क्या एक ही निवेश नीति हो या फिर हर सेक्टर की हो। मैं तो चाहता हूं कि हर जिले की निवेश नीति हो। हर सेक्टर के लिए निवेश नीति हो। निवेश नीति का आधार होना चाहिए कि आप कितने लोगों को रोजगार देते हो। मुझसे इंदौर में कन्फेंशनरी पार्क मांगा, मैंने सात दिन में मंजूर कर दिया। वहां 50 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।

आप कांग्रेस के फ्लोर मैनेजर हैं, क्या यूपीए नए साथियों को खोज रहा है?

हां, मैं बड़ी पार्टियों के संपर्क में हूं। सबका लक्ष्य एक है। मैंने कल रात ही एक बड़े दल से बात की, उसने कहा है कि हम प्लान बना रहे हैं। कौन से भाजपा और एनडीए के नेता हैं, जो चाहते हैं कि मोदीजी दोबारा प्रधानमंत्री बनें। सबसे पहले भाजपा के नेता ही चाहेंगे कि इनको रवाना करो।

क्या चुनावों में परफॉरमेंस के आधार पर मंत्रिमंडल का पुनर्गठन करना चाहेंगे?

इसके बारे में अभी मैंने सोचा नहीं है। एक बात साफ है कि लोकसभा चुनावों में मंत्रिमंडल और विधायकों का परफॉरमेंस जरूर आंका जाएगा। मुझे खुद राहुलजी ने कहा है कि हर मंत्री और विधायक का आंकलन लोकसभा चुनावों के परिणामों के आधार पर होगा।

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