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कांग्रेस की करारी हार के बाद सीएम ने की प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश

locationभोपालPublished: May 25, 2019 10:48:34 am

Submitted by:

KRISHNAKANT SHUKLA

लोकसभा चुनाव में पराजय

kamal nath

कांग्रेस की करारी हार के बाद सीएम ने की प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश

भोपाल/ नई दिल्ली. प्रदेश में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है। उन्होंने प्रदेश प्रभारी महासचिव दीपक बाबरिया से इसकी पेशकश की है। हालांकि बावरिया ने इस मामले में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से विचार-विमर्श करने की सलाह दी है।

उधर, कमलनाथ ने पत्रिका से कहा कि विधानसभा चुनाव के बाद से ही प्रदेश अध्यक्ष पद छोडऩे के लिए पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से आग्रह कर रहा हूं, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद अध्यक्ष पद के साथ न्याय नहीं हो सकता। ऐसे में पार्टी को नए प्रदेश अध्यक्ष की जरूरत है, जिससे सरकार और संगठन प्रभावी व सुचारू तरीके से काम कर सके।

आज हो सकता है फैसला

लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद राहुल गांधी नई दिल्ली में कांग्रेस कार्यसमिति की शनिवार को होने वाली बैठक में इस्तीफा दे सकते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष पद छोडऩे के प्रस्ताव को मान लिया जाए। हालांकि, कमलनाथ इस बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं।

मोदी कैबिनेट में बना रहा दबदबा

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मध्यप्रदेश से पांच मंत्री रहे। इनमें सुषमा स्वराज, नरेंद्र सिंह तोमर, थावरचंद गेहलोत, वीरेंद्र खटीक और धमेंद्र प्रधान शामिल हैं। इनमें सुषमा, तोमर और थावरचंद के विभागों ने खूब काम भी किया। इसी तरह वीरेंद्र खटीक और धर्मेंद्र प्रधान के विभागों में भी काम हुए। प्रधान पेट्रोलियम व रसायन विभाग के राज्यमंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज चुनाव नहीं लड़ीं। लोकसभा स्पीकर के पद पर इंदौर सांसद सुमित्रा महाजन रहीं। सुषमा ने प्रदेश में पासपोर्ट कार्यालय खोले हैं। इनमें भोपाल को प्रदेश का मुख्यालय बनाया है, इंदौर अपने संसदीय क्षेत्र विदिशा में भी कार्यालय खोला। उमा भारती ने एमपी कनेक्शन के चलते केन-बेतवा प्रोजेक्ट पर बैठकें करवाईं।

प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले दो मंत्रियों को मंत्रिमंडल से हटाया भी गया था। इनमें एमजे अकबर को मीटू कैंपेन में घिरने के कारण नरेंद्र मोदी ने हटा दिया था। वहीं, फग्गन सिंह कुलस्ते को भी स्वास्थ्य राज्यमंत्री के पद से विभिन्न शिकायतों के बाद हटाया गया था। इस बार फग्गन सिंह वापस चुनाव जीतकर संसद पहुंच चुके हैं।

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