दरअसल, एनपीआर की जिस अधिसूचना की बात की जा रही है, वह दिनांक 9 दिसंबर 2019 की है। इसके बाद केन्द्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएण जारी किया है। अर्थात जो एनपीआर अधिसूचित किया गया है। वह नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत नहीं है। इससे पहले कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने भी एनपीआर के खिलाफ विरोध की बात कही थी।
हम कागज नहीं दिखाएंगे?
भोपाल मध्य से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने सोमवार को कहा था- अगर एनपीआर ( NPR ) को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ का रवैया सकारात्मक नहीं रहता है तो मैं पार्टी छोड़ दूंगा। आरिफ मसूद ने कहा था- एनपीआर को लेकर अगर मुख्यमंत्री कमलनाथ का सकारात्मक रुख नहीं रहता है, तो ऐसी पार्टी में रहने का क्या मतलब है। हम जनता से जुड़े हुए जनप्रतिनिधि हैं और जनता की आवाज उठाते हैं।
उन्होंने कहा कि NPR संविधान के खिलाफ है और NPR को लेकर भोपाल में बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। मुख्यमंत्री कमलनाथ को ज्ञापन दिया जायेगा अगर उसके बाद भी कोई सकारात्मक बात नहीं होती है तो आगे का रुख तैयार किया जाएगा। बीजेपी नफरत की राजनीति करती है। हम सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ घर-घर जाकर स्लोगन लगाएंगे पर हम कागज नहीं दिखाएंगे।
क्या है एनपीआर?
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) देश के सामान्य निवासियों का एक रजिस्टर है। नागरिकता कानून, 1955 और सिटीजनशिप रूल्स, 2003 के तहत आता है। भारत के हर सामान्य निवासी के लिए एनपीआर में अपना नाम लिखाना अनिवार्य है।