मुख्यमंत्री के लिए ये हैं नियम
आपको बता दें कि, इससे पहले कमलनाथ 17 दिसंबर को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करक चुके हैं। हालांकि, उस समय वो विधानसभा के सदस्य नहीं थे। नियमों के तहत किसी भी मुख्यमंत्री या मंत्री को विधानसभा सदस्य नहीं होने की सूरत में 6 महीने के भीतर विधानसभा सदस्य के तौर पर प्रदेश की किसी भी विधानसभा सीट पर चुनाव जीतकर विधायक पद हासिल करना होता है। इसी के तहत वो प्रदेश का मुख्यमंत्री बन सकता है। कमलनाथ के लिए ये अवधि 16 जून को पूरी होने जा रही थी। ऐसे में उन्हें हर हाल इस दिन से पहले विधानसभा सदस्य के तौर पर शपथ ग्रहण करनी थी।
8 बार सांसद रह चुके हैं कमलनाथ, बेटे को सौंपी सांसद सीट
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्देशानुसार मध्य प्रदेश आए कमलनाथ ने साल 1979 में पहली बार छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, जिसमें जीत हासिल करके वो यहां से सांसद चुने गए थे। यहां उन्हें लोगों का इतना समर्थन मिला कि, तब से लेकर अब तक 8 बार वो इसी सीट से सांसद रह चुके हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपने बेटे नकुलनाथ को इस सीट से चुनाव लड़ाया। नकुलनाथ को भी यहां से जीत हासिल हुई। अब नकुलनाथ यहां से सांसद हैं।