उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति पानी के स्रोतों पर कब्जा करेगा, उस पर अपराधी मान कर कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने यहां मंत्रालय में पानी के अधिकार अधिनियम पर गठित जल विशेषज्ञों की समिति के साथ चर्चा की। उन्होंने कहा, बड़ी संरचनाओं के स्थान पर छोटी जल संरचनाएं बनाई जाए।
इससे लोगों को पुरखों की जमीन, जायदाद और गांव से बेदखल होने से बचा सकेंगे। जनसमुदाय को पानी के प्रबंधन और उपयोग का अधिकार देना चाहिए। उन्होंने पानी की बर्बादी रोकने और उसके संरक्षण पर विशेष ध्यान देने को कहा। मुख्यमंत्री ने बैठक के बाद ग्रामीण विकास विभाग की अपर मुख्य सचिव गौरी सिंह व पीएचई प्रमुख सचिव संजय शुक्ल से अलग से भी सुझावों पर चर्चा की।
हमारा गांव, हमारा पानी पर हो काम
मध्यप्रदेश जल विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष डॉ. मिहिर शाह ने कहा कि हमारा गांव हमारा पानी कांसेप्ट पर काम हो। गांव का पानी गांव में ही रहे। बड़े बांध से खेतों तक उतना पानी नहीं पहुंच पाता। पानी शुद्धता और फ्लोराइड समस्या का हल होना चाहिए। मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त राजेंद्र सिंह ने कहा, जल स्रोतों के चिन्हांकन, पुनर्जीवन, नोटिफिकेशन पर ध्यान देने की जरूरत है, तभी पुराने स्रोतों को बचाया जा सकेगा। अतिक्रमण खत्म कर जल स्रोत बचा सकेंगे।
उत्तर प्रदेश में जल प्रदूषण पर सजा
उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डॉ.महेंद्र सिंह ने कहा है कि जल संरक्षण संबंधी कानून का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है जल्द ही इसे कानून की शक्ल दी जाएगी। इसमें जल को प्रदूषित करने वाले को पांच से सात साल की सजा और 10 से 20 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया जा रहा है। कानून के दायरे में सरकारी, अर्धसरकारी, निजी संस्थान होंगे। रेन वॉटर की हार्वेस्टिंग अनिवार्य होगी। सिस्टम नहीं लगाने पर मान्यता रद्द होगी।
संभागायुक्त की रिपोर्ट पहुंची मंत्रालय
कलेक्टर व एसडीएम का हटना तय, विभागीय जांच की तैयारी
इधर, रेत खनन को लेकर आपस में भिड़े होशंगाबाद कलेक्टर शीलेंद्र सिंह और एसडीएम रवीश श्रीवास्तव का हटना लगभग तय है। दोनों के खिलाफ विभागीय जांच भी हो सकती है। संभागायुक्त आरके मिश्रा की दूसरी जांच रिपोर्ट मंगलवार को मंत्रालय पहुंच गई।
मुख्य सचिव एसआर मोहंती और कार्मिक विभाग की प्रमुख सचिव दीप्ति गौड़ मुखर्जी बुधवार देर शाम दिल्ली से लौटेंगे। उनके लौटने के बाद इस पर एक्शन होगा। सूत्रों के मुताबिक जिस टीम को विधायक के भतीजे वैभव शर्मा की रेत खदान के स्टॉक की जांच करने दोबारा भेजा गया, उनमें वे ही अधिकारी थे, जिन्होंने पहले डबल स्टॉक 80 हजार घन मीटर रेत की गलत रिपोर्ट दी थी।
इसी पर एसडीएम ने आरोप लगाया था कि कलेक्टर के दबाव में दोगुना से ज्यादा मात्रा रेकॉर्ड में बताई गई। कमिश्नर के निर्देश पर एडीएम केडी त्रिपाठी, जिला खनिज अधिकारी महेंद्र पटेल, खनिज निरीक्षक अर्चना ताम्रकार के दल ने स्टॉक की फिर से जांच की। दल में त्रिपाठी को छोड़कर अन्य अधिकारी पहली बार जांच करने वाले दल में शामिल थे।