संबल योजना भी बन चुकी है सौगात
बता दें कि, इससे पहले भी सीएम शिवराज ने संबल योजना के तहत बिजली उपभोक्ताओं को बड़ा तोहफा देते हुए बिजली बिल माफी योजना के तहत 16 लाख उपभोक्ताओं के 5179 करोड़ रुपए के बिजली बिल माफ करने का ऐलान किया था। इस योजना के तहत पंजीयन कराने वाले मजदूरों को 200 रूपये महीने फ्लेट रेट पर बिजली देने की भी घोषणा की गई थी। हालांकि, कांग्रेस इसे भी प्रदेश की जनता के साथ छलावा बता रही थी। याद हो कि, कुछ दिनों पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने शिवराज सिंह चौहान को आ़े हाथों लेते हुए कहा था कि, सीएम को जनता का एक साल का नही बल्कि, अपने पूरे कार्यकाल का बिजली बिल माफ करना चाहिए।
तीनों कंपनियां बिजली चोरी के केस वापस लेंगी
मध्य प्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कंपनी के एमडी संजय कुमार शुक्ला ने एक हिन्दी वेबसाइट को बताया कि, प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियां बिजली चोरी संबंधी सभी केस वापस लेने की तैयारी कर रही है। शासन द्वारा जारी आदेश मिल चुके हैं। इस आदेश के आधार पर हमने पूर्व, पश्चिम और मध्य क्षेत्र बिजली कंपनियों को सभी प्रकरणों की वापसी की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि, जैसे जैसे प्रक्रिया पूरी होती जाएगी, वैसे वैसे हर मंडल के अनुसार लोगों पर लगे केस माफ कर दिए जाएंगे।
यह होता है इन धाराओं में
बिजली से जुड़े अपराध के संबंध में विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 126, 135 अौर 138 के तहत मामले दर्ज होते हैं। धारा 126 में बिजली का अप्राधिकृत उपयोग, 135 में बिजली चोरी और धारा 138 में मीटर से छेड़छाड़ के मामले दर्ज किया जाता है। अप्राधिकृत उपयोग और चोरी के मामले में पहली बार पकड़े जाने पर जुर्माना लगाया जाता है, दूसरी बार भी अगर इसी मामले में पकड़े जाने गए तो गिरफ्तार करके 6 से 8 गुना जुर्माना लगाया जाता है। वहीं बिजली के मीटर से छेड़छाड़ के जुर्म में गिरफ्तारी भी की जाती है। तीनों धाराओं में संबंधित आरोपी के खिलाफ विशेष न्यायालय में प्रकरण भी चलाया जाता है। इनमें सरचार्ज के साथ चोरी की राशि जमा करने के अलावा तीन साल तक की सजा का प्रावधान होता है।
इस तरह सरकार वापस लेगी प्रकरण
विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 126, 135 और 138 के मामलों की जानकारी निकालने के बाद बिजली कंपनी का विजिलेंस विभाग केस वापस लेगी। बिजली कंपनी ने चोरी या मीटर से छेड़छाड़ के मामलों में जो भी सरचार्ज लगाया है, उसे खत्म कर दिया जाएगा। इसके अलावा वसूली की मूल राशि का आधा हिस्सा बिजली कंपनी भरेगी और आधा हिस्सा शासन की तरफ से पूर्ति किया जाएगा। केस वापसी की प्रक्रिया के बाद बिजली कंपनी शासन से आधा हिस्सा लेने की प्रक्रिया शुरू कर देगी।