scriptcm shivraj singh | शिवराज बोले- भारत में प्रकृति के शोषण नहीं, दोहन का दर्शन | Patrika News

शिवराज बोले- भारत में प्रकृति के शोषण नहीं, दोहन का दर्शन

locationभोपालPublished: Dec 22, 2021 09:57:55 pm

विज्ञान यात्रा से स्थानीय प्रतिभाओं को पहचानने में मिलेगी मदद
म.प्र. केंद्रित परम्परागत ज्ञान-विज्ञान, टेक्नोलॉजी को वर्तमान संदर्भों में किया जाएगा प्रोत्साहित
स्वतंत्रता आंदोलन में भारतीय विज्ञान और वैज्ञानिकों के योगदान का स्मरण आवश्यक
सम्मेलन के निष्कर्षों के क्रियान्वयन के लिए गठित की जाएगी विशेष टीम

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भोपाल। भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमें वैज्ञानिक विकास से उत्पन्न परिस्थितियों को भी समझना होगा। कोरोना पर स्थिति हमारे सामने हैं, इसके साथ कैंसर एक्सप्रेस की बातें भी सुनाई दे रही हैं। भारत में प्रकृति के शोषण के स्थान पर प्रकृति के दोहन का दर्शन था। प्रदेश में स्व-सहायता समूहों में काम कर रही महिलाओं को यदि थोड़ा विज्ञान और तकनीक का सहयोग मिल जाए, तो उनके उत्पाद बेहतर हो सकते हैं। उत्पादों की उपयोगिता और गुणवत्ता में सुधार आ सकता है।
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यह बात शिवराज ने बुधवार को मध्यप्रदेश विज्ञान सम्मेलन एवं प्रदर्शनी का मंत्रालय से वचुर्अल तरीके से उद्घाटन करते हुए कही। यहां शिवराज ने कहा कि यह सम्मेलन आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश का रोड मेप बनाने में मील का पत्थर साबित होगा। धर्म और विज्ञान एक दूसरे का समर्थन करते हैं। मंत्र भी एक विज्ञान है, ध्वनि ऊर्जा है और ऊर्जा कभी नष्ट नहीं होती। मंत्रों के चमत्कार विज्ञान ने सिद्ध किए हैं। भारत ने खगोल विज्ञान, गणित आदि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ब्रह्मगुप्त, वराहमिहिर, भास्कराचार्य जैसे प्रसिद्ध गणितज्ञ हमारे यहाँ हुए हैं। शून्य का आविष्कार भी भारत में हुआ। गणित और विज्ञान में भारत का महत्वपूर्ण योगदान है। भारत खगोल विज्ञान, गणित और आध्यात्म के क्षेत्र में लगातार आगे रहा है। विज्ञान के सहयोग से प्रदेश में अपार संपदा का उपयोग कर हम रोजगार के अवसर सृजित कर सकते हैं। सीएम राइज स्कूल में सभी विषयों के साथ विज्ञान के अध्ययन के लिए भी समुचित व्यवस्था रहेगी। शिवराज ने कहा कि कृषि के मामले में हमें परिस्थितियों पर विचार करने की आवश्यकता है। रासायनिक खाद ने हमारे अन्न और सब्जियों को विषाक्त कर दिया है। परिणामस्वरूप ऑर्गेनिक खेती की बात हो रही है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं, इससे समुद्र का जल-स्तर तो बढ़ेगा ही साथ ही नदियाँ भी प्रभावित होंगी। केवल तकनीक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी महत्वपूर्ण है। भारत में प्रकृति पूजा वैज्ञानिक दृष्टिकोण का परिणाम थी।
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