कमलनाथ ने कहा कि हो सकता है कर्नाटक की तरह मध्यप्रदेश में हमारी सरकार गिराने में भी पेगासस का इस्तेमाल हुआ हो। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि सरकार गिराने में सीधे-सीधे सौदा हुआ था। कमलनाथ ने कहा कि इस पूरे मामले की सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज से जांच कराई जाए, जिसकी जासूसी न की गई हो, जिसमें विरोधी दलों की सहमति भी शामिल हो। कमलनाथ ने मांग करते हुए कहा कि यदि केंद्र सरकार पाक साफ है तो सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दे कि उसने पेगासस साफ्टवेयर और उसके लाइसेंस की खरीदी नहीं की। कमलनाथ ने कहा कि यह हमारी गोपनीयता पर सबसे बड़ा हमला है, इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।
कुर्सी बचाने शिवराज विधानसभा में दे दें एफीडेविट :
कमलनाथ ने कहा कि एनओएस कंपनी कह रही है कि पेगासस साफ्टवेयर सीधे सरकार को बेचते हंै। फोन टेपिंग के लिए अलग से लाइसेंस लिया जाता है। एक लाइसेंस पर एक समय में एक ही फोन टेप किया जा सकता है। पेगासस 2016 में ही आया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2017 में हुए इजराइल दौरे के बाद से ये जासूसी कांड शुरु हुआ है। मोदी सरकार में मोबाइल कंपनियों के जरिए लाखों लोगों की निगरानी की गई। उन्होंने कहा कि फेंटम जैसे स्पाई साफ्टवेयर भी इसी तरह के हैं। सर्ट ने भी 2019 में एक संवेदनशील नोट दिया था। कमलनाथ ने कहा कि न यूपीए सरकार ने और न ही मुख्यमंत्री रहते मैंने कभी किसी का फोन टैप करवाया। उन्होंने कहा कि सीएम शिवराज खुद मोदी से पूछ लें और विधानसभा में एफीडेविट दे दें कि केंद्र सरकार ने पेगासस नहीं खरीदा, इसके बाद शायद उनकी कुर्सी बचा जाए। पेगासस जासूसी कांड का खुलासा अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने किया है, केंद्र सरकार उनके खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं करती।
मैं कहीं जाने वाला नहीं :
कमलनाथ ने कार्यवाहक अध्यक्ष बनने के सवाल पर कहा कि मैं मध्यप्रदेश छोडऩे वाला नहीं हंू। कमलनाथ ने कहा कि महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। डीजल,पेट्रोल,रसोई गैस, खाद्य तेल समेत अन्य जरुरत की चीजें यूपीए सरकार की तुलना में दो गुनी हो गई हैं। उन्होंने कहा कि मैं शिवराज की तरह झूठ नहीं बोलता। किसान पीडि़त हैं, बेरोजगारों को नौकरी नहीं है। कोविड में सरकार मौत का आंकड़ा छिपा रही है। ये झूठ बोला जा रहा है कि ऑक्सीजन की कमी से मौतें नहीं हुईं। उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव की तैयारियां छह महीने से चल रही हैं। उपचुनाव के लिए 29 जुलाई को मीटिंग बुलाई है। कमलनाथ ने कहा कि सर्वे के आधार पर टिकट दिए जाएंगे, खंडवा में अरुण यादव ने कभी मुझसे नहीं कहा कि वे चुनाव लडऩा चाहते हैं। वहीं कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में दलित-आदिवासियों पर अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं। डबरा की शशि जाटव के साथ घटना हैवानियत भरी है। खंडवा के वन परिक्षेत्र में बर्बर तरीके से आदिवासियों के मकानों को तोड़ा गया है।
कुर्सी बचाने शिवराज विधानसभा में दे दें एफीडेविट :
कमलनाथ ने कहा कि एनओएस कंपनी कह रही है कि पेगासस साफ्टवेयर सीधे सरकार को बेचते हंै। फोन टेपिंग के लिए अलग से लाइसेंस लिया जाता है। एक लाइसेंस पर एक समय में एक ही फोन टेप किया जा सकता है। पेगासस 2016 में ही आया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2017 में हुए इजराइल दौरे के बाद से ये जासूसी कांड शुरु हुआ है। मोदी सरकार में मोबाइल कंपनियों के जरिए लाखों लोगों की निगरानी की गई। उन्होंने कहा कि फेंटम जैसे स्पाई साफ्टवेयर भी इसी तरह के हैं। सर्ट ने भी 2019 में एक संवेदनशील नोट दिया था। कमलनाथ ने कहा कि न यूपीए सरकार ने और न ही मुख्यमंत्री रहते मैंने कभी किसी का फोन टैप करवाया। उन्होंने कहा कि सीएम शिवराज खुद मोदी से पूछ लें और विधानसभा में एफीडेविट दे दें कि केंद्र सरकार ने पेगासस नहीं खरीदा, इसके बाद शायद उनकी कुर्सी बचा जाए। पेगासस जासूसी कांड का खुलासा अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने किया है, केंद्र सरकार उनके खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं करती।
मैं कहीं जाने वाला नहीं :
कमलनाथ ने कार्यवाहक अध्यक्ष बनने के सवाल पर कहा कि मैं मध्यप्रदेश छोडऩे वाला नहीं हंू। कमलनाथ ने कहा कि महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। डीजल,पेट्रोल,रसोई गैस, खाद्य तेल समेत अन्य जरुरत की चीजें यूपीए सरकार की तुलना में दो गुनी हो गई हैं। उन्होंने कहा कि मैं शिवराज की तरह झूठ नहीं बोलता। किसान पीडि़त हैं, बेरोजगारों को नौकरी नहीं है। कोविड में सरकार मौत का आंकड़ा छिपा रही है। ये झूठ बोला जा रहा है कि ऑक्सीजन की कमी से मौतें नहीं हुईं। उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव की तैयारियां छह महीने से चल रही हैं। उपचुनाव के लिए 29 जुलाई को मीटिंग बुलाई है। कमलनाथ ने कहा कि सर्वे के आधार पर टिकट दिए जाएंगे, खंडवा में अरुण यादव ने कभी मुझसे नहीं कहा कि वे चुनाव लडऩा चाहते हैं। वहीं कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में दलित-आदिवासियों पर अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं। डबरा की शशि जाटव के साथ घटना हैवानियत भरी है। खंडवा के वन परिक्षेत्र में बर्बर तरीके से आदिवासियों के मकानों को तोड़ा गया है।