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कागजों में ही अटके राजधानी के सीएनजी स्टेशन

locationभोपालPublished: Sep 20, 2018 09:49:40 am

Submitted by:

Radhyshyam dangi

भोपाल-राजगढ़ में सीएनजी के 104 स्टेशन मंजूर, लेकिन सरकार तैयार नहीं, दो साल और करना होगा इंतजार

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पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम को लेकर भोपाल में सीएनजी की मांग बढऩे लगी है। केंद्र सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने भोपाल और राजगढ़ जिले में 104 सीएनजी फ्यूल स्टेशन को मंजूरी दे दी है। इसके लिए कंसोर्टियम ऑफ थिंक गैस इंवेस्टमेंट पीटीई लिमिटेड कंपनी को फ्यूल स्टेशन लगाने के लिए अधिकृत भी कर दिया गया है। लेकिन यह पूरी कार्रवाई सिर्फ कागजों तक सीमित है।
जिम्मेदारों के द्वारा इस मामले को गंभीरता से नहीं लेने के कारण अभी तक धरातल पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है। जबकि प्रदेश के इंदौर, देवास, पीथमपुर व ग्वालियर में पहले से ही सीएनजी, पीएनजी और कमर्शियल व घरेलू गैस लाइन और फ्यूल स्टेशन स्थापित किए जा चुके हैं। अब पेट्रोल-डीजल के रेट आसमान पर पहुंचने के कारण सीएनजी लाने की मांग तेजी से उठ रही है।
दोनों जिलों में बड़ी संख्या में सीएनजी स्टेशन शुरू किए जाने की योजना है लेकिन इसके लिए स्थानीय प्रशासन से लेकर राज्य शासन द्वारा सीएनजी लाने के लिए खास प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। इसलिए पूरी कार्रवाई इतनी धीमी गति से चल रही है कि भोपाल तक सीएनजी आने में सालों लग जाएंगे। हालांकि बताया जा रहा है 27-28 सितंबर, को कंपनी और राज्य सरकार के बीच बैठक होने जा रही है, इसमें कुछ महत्वपूर्ण फैसले हो सकते हैं। पर्यावरण प्रेमी राशिद नूर खान का कहना है कि भोपाल में वाहनों के कारण लगातार प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। एहतियात के तौर पर पहले से ही शहर में सीएनजी लागू कर देना चाहिए, ताकि दिल्ली जैसे हालात होने से बचा जा सके।
क्या स्थिति है इंदौर में
इंदौर में सीएनजी के १३ फ्यूल टैंक है। जिनमें हर दिन ५० हजार किलो सीएनजी की खपत हो रही है। यहां अवंतिका गैस लि कंपनी २००९ से काम कर रही है। इंदौर में सीएनजी 52 रुपए प्रति किलो की दर से विक्रय हो रही है। वहीं पेट्रोल 87 रुपए से भी अधिक दर पर बिक रहा है। सीएनजी से चार पहिया वाहनों का एवरेज भी अच्छा आ रहा है। वहीं सीएनजी प्रदूषण मुक्त होता है।
यह हैं रोड़े
– पाइप लाइन बिछाने के लिए पर्यावरण, नगरीय निकायों आदि से अनुमतियां लेना होगी, जिसे लेकर अभी स्पष्टता नहीं है। एकल खिडक़ी योजना नहीं होने से भी दिक्कतें हैं।

– सरकारी विभागों में तालमेल नहीं है। अफसर भी एकमत नहीं है।
– कहां-कहां फ्यूल स्टेशन स्थापित किए जाएंगे इसको लेकर अभी नक्शा ही तैयार नहीं किया गया है।
– सीएनजी फ्यूल टैंक के लिए एक्सप्लोसिव की अनुमतियां लेना सबसे बड़ा मसला है।

– चुनाव के कारण किसी का ध्यान इस तरफ नहीं है।
– अलग-अलग चरणों में काम होना है, इसलिए भी समय लगेगा।
शहर में अभी एलपीजी और पेट्रोल पंपों की स्थिति
– शहर में चालू एलपीजी पंप- ०३

– शहर में पेट्रोल पंप- ११०

– पेट्रोल की शहर में खपत- 3.50 लाख लीटर प्रतिदिन
– डीजल की शहर में खपत- 3 लाख लीटर प्रतिदिन
अभी फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की जाना है। हमारे यहां इस पर काम चल रहा है। कंपनी को जहां गैस पाइप लाइन नजदीक पड़ेगी, वहां पहले स्टेशन लगाया जाएगा।
– श्रेयांश दीक्षित, चीफ मैनेजर, इंडियन ऑयल, सीएनजी डिवीजन
भोपाल में सीएनजी के पंप लगना चाहिए। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए आज सीएनजी की आवश्यकता है। आरटीओ इसमें पहल कर कमर्शियल वाहनों को पहले शहर में परमिट दें तो आने वाले दो-चार साल में ज्यादातर वाहनों में सीएनजी का उपयोग होने लगेगा। इससे लोगों पर पडऩे वाला आर्थिक भार भी कम होगा।
– अजय सिंह, अध्यक्ष, मप्र पेट्रोल पंप ऑनर्स एसोसिएशन

आगामी 27-28 सितंबर को कंपनी और राज्य सरकार के बीच सीएनजी को लेकर बैठक है। इस बैठक में कुछ निर्णय लिया जा सकता है। अभी यह शुरुआती दौर में ही है, इसलिए कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
– हरेंद्र सिंह, संयुक्त संचालक, खाद्य, नागरिक एवं आपूर्ति विभाग

इंदौर में यदि अब तक सीएनजी नहीं आती तो वहां बीते चार-पांच सालों में प्रदूषण बहुत बढ़ जाता। इसी तरह यदि भोपाल में भी समय पर सीएनजी का उपयोग नहीं किया गया तो यहां की आबोहवा भी प्रदूषित होने में समय नहीं लगेगा। तेल की बढ़ती कीमतों और प्रदूषण नियंत्रण का शहरों में यह सबसे सटीक उपाय है। सरकार को यहां जल्द से जल्द सीएनजी स्टेशन लगाना चाहिए।
– नितिन सक्सेना, सामाजिक कार्यकर्ता भोपाल

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