जानकारी के मुताबिक, मध्य प्रदेश में मौजूद पावर प्लांटों में कोयले की उपलब्धता बहुत कम हो गई है। बताया जा रहा है कि देशभर के पावर हाउस में कोयला 33 फीसदी उपलब्ध होता ही है, लेकिन मध्य प्रदेश के चार पावर प्लांटों में सिर्फ 10 फीसदी कोयला ही शेष है। अमरकंटक पावर प्लांट में 30.90 हजार मीट्रिक टन कोयला बचा है, बिरसिंहपुर पावर प्लांट में 25.30 हजार मीट्रिक टन कोयला बचा है, सतपुड़ा सारणी पावर प्लांट में 40.30 हजार मीट्रिक टन कोयला बचा है और श्री सिंगाजी पावर प्लांट में 1,22,400 मीट्रिक टन कोयला ही बचा है।
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रोजाना इतनी जरूरत
जानकारी के मुताबिक, प्रदेश में रोज 58 हजार मीट्रिक टन कोयले की खपत है, जबकि यहां सिर्फ 50 हजार मीट्रिक टन कोयला ही आ रहा है। बिजली मामलों के जानकारों की मानें तो पावर स्टेशनों को 26 दिनों का स्टॉक रखना चाहिए, लेकिन मध्य प्रदेश में फिलहाल इस स्थित में नहीं है। यहां सिर्फ दो से तीन दिनों का कोयला मौजूद है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह भी कर्नाटक की तर्ज पर केंद्र से अतिरिक्त कोयले की मांग करे।
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