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code of conduct : कांग्रेस विधायक-मंत्रियों पर लागू होगा कोड ऑफ कंडक्ट , दिल्ली में बन रही आचार संहिता

संगठन को मजबूत करने की कवायद: दिल्ली में बन रही आचार संहिता

भोपालAug 13, 2019 / 03:24 pm

Amit Mishra

code of conduct : कांग्रेस विधायक-मंत्रियों पर लागू होगा कोड ऑफ कंडक्ट , दिल्ली में बन रही आचार संहिता

भोपाल@ अरुण तिवारी की रिपोर्ट
प्रदेश सरकार के मंत्री और विधायकों पर संगठन का कोड ऑफ कंडक्ट code of conduct लागू होगा। पार्टी को लोकसभा चुनाव की करारी हार से उबारने और लोगों के बीच कांग्रेस का भरोसा नए सिरे से बढ़ाने के लिए एआइसीसी चुने हुए जनप्रतिनिधियों के लिए आचार संहिता तैयार कर रही है। इसके तहत विधायकों Congress MLA को न केवल जनता का विश्वास जीतना होगा, बल्कि उनके बीच जनप्रिय नेता की छवि भी बनानी होगी।

 

कांग्रेस शासित सभी राज्यों में लागू करेगी

पार्टी का मानना है कि जनप्रतिनिधि जनता के बीच चुनकर आते हैं, लोगों में उनका प्रभाव रहता इसीलिए इसकी शुरुआत विधायकों से की जा रही है। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी sonia gandhi congress इस कोड ऑफ कंडक्ट को कांग्रेस शासित सभी राज्यों में लागू करने जा रही हैं। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हारे हुए नेताओं को भी क्षेत्र में सक्रिय रहने के लिए कहा जा रहा है। हारे उम्मीदवार भी जनता के बीच में विधायकों की तरह सक्रिय रहेंगे। जनता के कामों को सरकार के जरिए पूरे भी करवाएंगे। यदि सरकार में उनकी बात नहीं सुनी जाएगी तो वे इसकी शिकायत सीधे एआइसीसी को कर सकते हैं।

गुट चलाने वालों को हिदायत
कांग्रेस में गुटबाजी का मर्ज पुराना है। प्रदेश के मंत्री, congress ministers विधायकों से लेकर आम कार्यकर्ता तक गुटों में बंटे हुए हैं। यहां पर कार्यकर्ता मुख्यमंत्री कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी, अरुण यादव, अजय सिंह और कांतिलाल भूरिया जैसे बड़े नेताओं के खेमे की राजनीति करते हैं। एआइसीसी की आचार संहिता में गुटबाजी को बंद करने की हिदायत भी लिखित सामने आएगी।

 

जल्द तय होगा प्रदेश अध्यक्ष
ऐसा माना जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का फैसला जल्द ही हो जाएगा। दिल्ली में जो नाम दौड़ में हैं, उनमें उमंग सिंघार, ओमकार मरकाम, जीतू पटवारी और मुकेश नायक शामिल हैं। अजय सिंह और अरुण यादव भी दावेदार माने जा रहे हैं। कांग्रेस अब उन नेताओं पर ही भरोसा करेगी जिनका जनाधार माना जाता है। निगम-मंडल की नियुक्तियों में भी राजनीतिक समीकरण का ज्यादा ध्यान रखा जाएगा।

ये हैं आचार संहिता के मुख्य बिंदु
विधानसभा क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा समय गुजारना है।
पार्टी का पब्लिक कनेक्ट बढ़ाना है।
गुटीय राजनीति से बाहर आना।
वचन पत्र पर काम करने की रिपोर्ट एआइसीसी को भेजना है।
आम आदमी,गरीब, किसान, युवा और महिलाओं की आवाज उठाना है।
लोगों के दुख, दर्द और खुशी में शामिल होना है।
विवादित बोल या अभद्र व्यवहार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई।
गलतियों को स्वीकार कर उनमें सुधार करना है।
हमेशा प्रदेश नेतृत्व के सुर में सुर मिलाकर ही बात करनी है।
जनता दरबार लगाकर उनकी समस्याएं दूर करना है।
निज सचिव का व्यवहार जनता के प्रति अच्छा होना चाहिए।
गलत नीतियों के लिए जनता के साथ केंद्र सरकार पर दबाव बनाना है।
सरकार के फैसले लोकहित में हो और उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित हो।
तय की जा रही अपनी मर्यादा में रहकर ही काम करना है।

 

आने वाले समय में पार्टी में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। जनप्रतिनिधियों के लिए कुछ ऐसे कोड ऑफ कंडक्ट पर विचार किया जा रहा है, जिसके पालन से संगठन एक बार फिर पहले की तरह मजबूत नजर आएगा।
दीपक बावरिया, महासचिव, कांग्रेस

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