scriptसदन में विधायकों के लिए लागू होगी आचार संहिता, सवाल दोहराने की नहीं होगी अनुमति | Code of conduct will be applicable for MLAs in the House | Patrika News

सदन में विधायकों के लिए लागू होगी आचार संहिता, सवाल दोहराने की नहीं होगी अनुमति

locationभोपालPublished: Dec 07, 2021 11:51:08 am

जनहित से जुड़े ज्यादा से ज्यादा सवालों पर हो चर्चा, हंगामा कम और ज्यादा काम पर फोकस

@ डॉ. दीपेश अवस्थी की रिपोर्ट,

भोपाल। इसी माह की 20 तारीख से शुरू हो रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विधायकों के लिए आचार संहिता लागू की जा रही है। इसके तहत उन्हें सवाल दोहराने की अनुमति नहीं होगी। वे चाहें तो पूरक प्रश्न पूछ सकते हैं। प्रयास यही है कि प्रश्नकाल में ज्यादा से ज्यादा सवालों को लिया जाए और पर इन चर्चा हो सके। जनहित से जुड़े सवालों के जवाब मिल सकें।
एक घंटे के प्रश्नकाल में चर्चा के लिए 25 सवालों को शामिल किया जाता है। इन सवालों का चयन लॉटरी के माध्यम से होता है। लेकिन इस एक घंटे में सभी 25 सवालों को पूछने का मौका नहीं आता। इसका प्रमुख कारण या तो सवालों पर लम्बी चर्चा हो जाती है या फिर हंगामा या शोर शराबा के कारण भी सवाल अधूरे ही रह जाते हैं। इसलिए विधानसभा अध्यक्ष सदन में टाइम मैनेजमेंट में जुटे हैं। जिससे अधिक से अधिक विधायकों सवाल पूछने का मौका मिले। इसके लिए तय किया गया है कि विधायक लिखित सवाल न दोहराएं, क्योंकि ये सवाल तो पहले से ही संबंधित विभाग के मंत्री के पास मौजूद है। जवाब भी लिखित में है। यदि विधायक को इससे जुड़ा कोई पूरक प्रश्न पूछना है वह पूछ सकता है। यदि कोई और विधायक इसी विषय से जुड़ा सवाल पूछना चाहता है तो उसे उसकी आजादी होगी। लेकिन पूरक प्रश्न अधिक नहीं होंगे। इससे समय की बचत होगी और इस बचे हुए समय में शेष सवालों को शामिल किया जा सकेगा। प्रश्नकाल में ज्यादा से ज्यादा विधायकों के सवाल शामिल किए जा सकेंगे।
15-16 सवालों पर हो पाती है चर्चा
प्रश्नकाल के दौरान आमतौर पर 15-16 सवालों पर ही चर्चा हो पाती है। जबकि 25 सवालों के लिए यह समय निर्धारित रहता है। ऐसे बहुत ही कम मौके आते हैं जब सभी 25 सवाल पूछे जा सके हों, जब-जब ऐसा हुआ तब-तब संसदीय कार्य मंत्री या फिर अन्य विधायकों की ओर से आसंदी को धन्यवाद भी दिया गया।
महत्वपूर्ण विधेयक भी बिना चर्चा पारित 
सदन में कई मौके ऐसे आए जब हंगामा और शोर-शराबा के चलते महत्वपूर्ण विधेयक भी बिना चर्चा के पारित हो गए। यहां तक राज्य का बजट भी कई बार बिना चर्चा के पारित हो गया। विधेयकों पर चर्चा होगी तो विधायकों के बेहतर सुझाव भी आएंगे। इससे कानून अच्छे से अच्छे कानून बन सकेंगे। जनहित के मामले में निर्णय लिए जा सकेंगे।
नए विधायकों को मिलेगा मौका
विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का कहना है कि पहली बार चुनकर आए विधायकों में कई बार झिझक होती है। वे भी सवाल पूछें, इसलिए उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए एक दिन निर्धारित किया जाएगा। निर्धारित किए गए दिन में प्रश्नकाल के दौरान सिर्फ नए विधायकों को ही सवाल पूछने का मौका दिया जाएगा। इसी सत्र में यह व्यवस्था करने जा रहे हैं।
नियमों में किया संशोधन
विधायकों के सवाल पूछने के मामले में नियमों में भी संशोधन किया गया है। इसके तहत यदि किसी सदस्य ने विधायक के तौर पर सवाल पूछे और इस बीच वह मंत्री या फिर विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष बन जाता है तो उसके द्वारा पूछे गए लिखित सवाल सदन के पटल पर नहीं रखे जाएंगे। ये सवाल निरस्त कर दिए जाएंगे या फिर इन्हें निरस्त माना जाएगा। सरकार के मंत्री की ओर से इनके जवाब भी नहीं दिए जाएंगे। इसके लिए मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष के स्थाई आदेशों में संशोधन करते हुए विधायकों को इसकी सूचना भेज दी गई है।
स्पीकर बोले

प्रयास है कि सदन में जनहित के विषयों पर अधिक से चर्चा हो, ज्यादा से ज्यादा विधायक चर्चा में हिस्सा लें। अपने क्षेत्र से जुड़े सवाल पूछ सकें, लेकिन तय किया है कि विधायक लिखित सवाल न दोहराएं, उससे जुड़े पूरक प्रश्न पूछ लें। इससे समय की बचत होगी। बचे हुए समय में अन्य विधायकों को सवाल पूछने का मौका मिलेगा।
– गिरीश गौतम, अध्यक्ष मध्यप्रदेश विधानसभा

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