scriptअब कलेक्टर नहीं दे सकेंगे 5 हेक्टेयर के खदान को मंजूरी | Collector can not give 5 hectares of mine clearance | Patrika News

अब कलेक्टर नहीं दे सकेंगे 5 हेक्टेयर के खदान को मंजूरी

locationभोपालPublished: Jan 19, 2019 09:31:14 pm

Submitted by:

harish divekar

– एनजीटी के फैसले के बाद सरकार ने लिया निर्णय, अब राज्य स्तर की कमेटी देगी मंजूरी

vallabh bhavan

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प्रदेश में अब कोई भी कलेक्टर 5 हेक्टेयर तक की गिट्टी, मुरूम, मिट्टी, रेत सहित अन्य गौण खनिज खदानों को पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं दे सकेंगे।

एनजीटी के फैसले के बाद राज्य सरकार ने कलेक्टर की अध्यक्षता वाली कमेटी से यह अधिकार छीन लिए हैं।
खदान के लिए आवेदक को राज्य स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्रधिकरण (सिया) से मंजूरी लेना होगी। सिया के अध्यक्ष राकेश श्रीवास्तव ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं।

देने के लिए पर्यावरण प्रभाव आंकलन और पर्यावरण प्रबंध योजना से अनुमति लेने के साथ ही इसकी जन सुनवाई भी करना पड़ेगा।
गौरतलब है कि एनजीटी के निर्देशों पर ही जिला स्तर पर कमेटी बनाकर पांच हेक्टेयर के गौण खनिजों की अनुमति देने का प्रावधान राज्य सरकार ने पांच साल पहले किया था।

खदानों की अनुमति सिया से लेने के लिए संचालकों को ऑन लाइन आवेदन करने के साथ हजारों रुपए का शुल्क भी जमा करना पड़ेगा।
एनजीटी के इस फैसले से छोटे खदान लेने वाले आवेदकों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कारण कि खदान की अनुमति से जुड़े विभिन्न दस्तावेजों को जमा करने और सुनवाई के लिए बार-बार राजधानी के चक्कर लगाने पड़ेंगे। खदान आवंटन में देरी होने से इसका सीधा असर निर्माण और विकास कार्यों में पड़ेगा। क्योंकि अभी तक पांच हेक्टेयर खदानों के पर्यावरण की अनुमति जिला स्तर की पर्यावरण कमेटी से जल्दी ही मिल जाती थी, इसके लिए शुल्क भी नहीं लगता था। सड़क, पुल-पुलिया निर्माण करने वाले ठेकेदार जिला स्तर पर्यावरण की अनुमति लेकर उत्खनन करना शुरू कर देते थे। वहीं ईंट भटटों के लिए भी सिया से पर्यावरण की अनुमति लेनी पड़ेगी।
यह होगी परेशानी
अभी जिला स्तर से खदान को मंजूरी जल्द मिल जाती है। आवेदक को खदान आवंटन कराने में ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। नए नियमों से अब दूरस्थ क्षेत्र में रहने वाले आवेदक को पर्यावरणीय स्वीकृती के लिए भोपाल में आना होगा, इससे खदान मिलने में देरी तो होगी ही साथ में जल्द खदान आवंटन कराने के फेर में भ्रष्टाचार के नए रास्ते खुल जाएंगे।
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