scriptसमर्थन मूल्य पर खरीदी केन्द्र बनाने की जिम्मेदारी कलेक्टरों को | Collectors should be responsible for making purchase centers on suppor | Patrika News
भोपाल

समर्थन मूल्य पर खरीदी केन्द्र बनाने की जिम्मेदारी कलेक्टरों को

– किसानों के मान से गांव और पंचायत स्तर पर बनाए जा सकेंगे खरीदी केन्द्र

भोपालApr 09, 2020 / 10:32 pm

Ashok gautam

समर्थन मूल्य पर खरीदी केन्द्र बनाने की जिम्मेदारी कलेक्टरों को

समर्थन मूल्य पर खरीदी केन्द्र बनाने की जिम्मेदारी कलेक्टरों को


भोपाल। समर्थन मूल्य पर अनाज खरीदी केन्द्र बनाने की जिम्मेदारी कलेक्टरों को सौंप दी गई है। खरीदी केन्द्र किसानों की संख्या के आधार पर पंचायत स्तर पर बनाए जा जाएंगे। वर्तमान में खरीदी केन्द्रों की संख्या साढ़े चार हजार के से अधिक हो गई है। केन्द्रें में ज्यादा भीड़ होने पर पुलिस की भी व्यवस्था की जाएगी। केन्द्रों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने की जिम्मेदारी केन्द्र प्रभारी की होगी।
किसानों को उनके मोबाइल पर खरीदी के दो-तीन दिन पहले एसएमएस किया जाएगा। केन्द्रों पर उन्हीं किसानों से अनाज खरीदी की जाएगी जिन्हें एसएमएस भेजा जाएगा। प्रत्येक खरीदी केन्द्र पर प्रत्येक दिन कम से कम 20 से 25 किसानों को बुलाया जाएगा। लेकिन खरीदी केन्द्रों की क्षमता ज्यादा किसानों से अनाज खरीदी के लिए है तो वे अपने स्तर पर किसानों की संख्या बढ़ा सकेंगे। केन्द्रों पर सेनेटाइजर और साबुन-पानी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी खरीदी केन्द्रों की होगी। खरीदी केन्द्रों पर सोशल डिस्टेंसिंग बनाने के लिए हर तीन-तीन फिट पर चूने से गोला बनाया जा रहा है, जहां मजदूर और किसान खड़े हो सकेंगे।


समितियों के सामने आएगी लेबर, धागे, स्टीकर की समस्या
अनाज की खरीदी पांच दिन बाद शुरू हो रही है। लेकिन समितियों के पास अभी तक लेबर, धागा, स्टीकर की व्यवस्था नहीं हो पाई है। प्रत्येक बोरे में स्टीकर लगाया जाता है, जिसमें सिलाई के दौरान बोरे का बजन, किसान तथा समिति का नाम और उसका पंजीयन क्रमांक के साथ ही ब्लाक और जिले का नाम लिखा जाता है। समितियां स्टीकर प्रिंटिंग प्रेसों से कराते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते ये पिछले करीब बीस दिन से बंद हैं। बाजार भी बंद होने से धागे नहीं मिल रहे हैं। समितियों के सामने लेबरों की समस्या भी आ रही है, क्योंकि सारे लेबर अपने-अपने गांव वापस लौट गए हैं। समितियों का तर्क है कि एक खरीदी केन्द्र पर कम से कम 60 मजदूर, कंम्प्यूटर आपरेटर और कर्मचारियों की जरूरत होती है। इसकी संख्या में अनाज बेचने के लिए किसान और उनका सहयोग करने भी मजदूर आएंगे। ऐसी स्थिति में खरीदी केन्द्रों पर लोगों की संख्या सौ से दो सौ के पार हो जाएगी, समितियों के लिए भीड़ संभालना मुश्किल हो जाएगा।

वारदाने की आएगी समस्या
खरीदी केन्द्रों पर बारदाने की समस्या आएगी। कोरोना के चक्कर में समितियों में पर्याप्त मात्रा में बारदाना नहीं पहुंच पाया है। वैसे भी प्रदेश में सौ लाख टन अनाज खरीदी के लिए लक्ष्य रखा है, लेकिन बारदाना मात्र 60 लाख टन अनाज रखने के लिए ही पहुंच पाया है। कोरोना के चक्कर में प्रदेश में कोलकाता से ही पर्याप्त में बारदान जिलों तक नहीं पहुंच पाए हैं, क्योंकि पिछले 25 मार्च से पूरे देश में परिवहन व्यवस्था ठप है।
समस्या हमें 31 मई तक उपार्जन कार्य समाप्त कर लेना है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो