समितियों के सामने आएगी लेबर, धागे, स्टीकर की समस्या
अनाज की खरीदी पांच दिन बाद शुरू हो रही है। लेकिन समितियों के पास अभी तक लेबर, धागा, स्टीकर की व्यवस्था नहीं हो पाई है। प्रत्येक बोरे में स्टीकर लगाया जाता है, जिसमें सिलाई के दौरान बोरे का बजन, किसान तथा समिति का नाम और उसका पंजीयन क्रमांक के साथ ही ब्लाक और जिले का नाम लिखा जाता है। समितियां स्टीकर प्रिंटिंग प्रेसों से कराते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते ये पिछले करीब बीस दिन से बंद हैं। बाजार भी बंद होने से धागे नहीं मिल रहे हैं। समितियों के सामने लेबरों की समस्या भी आ रही है, क्योंकि सारे लेबर अपने-अपने गांव वापस लौट गए हैं। समितियों का तर्क है कि एक खरीदी केन्द्र पर कम से कम 60 मजदूर, कंम्प्यूटर आपरेटर और कर्मचारियों की जरूरत होती है। इसकी संख्या में अनाज बेचने के लिए किसान और उनका सहयोग करने भी मजदूर आएंगे। ऐसी स्थिति में खरीदी केन्द्रों पर लोगों की संख्या सौ से दो सौ के पार हो जाएगी, समितियों के लिए भीड़ संभालना मुश्किल हो जाएगा।
वारदाने की आएगी समस्या
खरीदी केन्द्रों पर बारदाने की समस्या आएगी। कोरोना के चक्कर में समितियों में पर्याप्त मात्रा में बारदाना नहीं पहुंच पाया है। वैसे भी प्रदेश में सौ लाख टन अनाज खरीदी के लिए लक्ष्य रखा है, लेकिन बारदाना मात्र 60 लाख टन अनाज रखने के लिए ही पहुंच पाया है। कोरोना के चक्कर में प्रदेश में कोलकाता से ही पर्याप्त में बारदान जिलों तक नहीं पहुंच पाए हैं, क्योंकि पिछले 25 मार्च से पूरे देश में परिवहन व्यवस्था ठप है।
समस्या हमें 31 मई तक उपार्जन कार्य समाप्त कर लेना है।