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राजधानी की सबसे पॉश आवासीय कॉलोनी को मिलीभगत से बना दिया व्यावसायिक

locationभोपालPublished: Nov 05, 2019 01:23:37 am

Submitted by:

Sumeet Pandey

नगर निगम की भवन अनुज्ञा शाखा सवालों के घेरे में, 25 फीसदी क्षेत्र में आवासीय अनुमति पर व्यावसायिक निर्माण

राजधानी की सबसे पॉश आवासीय कॉलोनी को मिलीभगत से बना दिया व्यावसायिक

राजधानी की सबसे पॉश आवासीय कॉलोनी को मिलीभगत से बना दिया व्यावसायिक

भोपाल. नगर निगम से मिली निर्माण अनुमति के विपरीत व्यावसायिक निर्माण के कई उदाहरण हैं। शहर की पॉश कॉलोनियों तक में अनुमति तो आवासीय मिली है, पर मिलीभगत के चलते यहां धड़ल्ले से व्यावसायिक इमारतें तान ली गई हैं। हैरत की बात ये है कि अनुमति देने वाले अफसरों ने ये जानने की कोशिश नहीं कि अनुमति के अनुसार निर्माण हो भी रहे हैं या नहीं। नतीजतन अरेरा कॉलोनी के 25 फीसदी क्षेत्र में आवासीय अनुमति पर व्यावसायिक निर्माण कर लिए गए हैं। ऐसे में निर्माण की अनुमति जारी करने वाला नगर निगम की भवन अनुज्ञा शाखा सवालों के घेरे में है। आशंका है कि निगम के इंजीनियरों ने खुद को कागजी कार्रवाई तक सीमित कर लिया है या मिलीभगत कर अनुमति से उलट मनमर्जी से निर्माण करने की सहमति दी जा रही है। इसका खामियाजा अरेरा जैसी पॉश कॉलोनी के रहवासियों को उठाना पड़ रहा है।
ये हैं जिम्मेदार
अरेरा कॉलोनी में जो व्यावसायिक निर्माण पूरे अंतिम चरण में हैं या जिनमें होटल अस्पताल खोले जा रहे हैं, उनकी अधिकतर अनुमतियां वर्ष 2016-17 में जारी की गई हैं। 80 फीसदी अनुमतियां तत्कालीन क्षेत्रीय भवन अनुज्ञा इंजीनियर महेश सिरोलिया ने जारी कीं। इनका जिम्मा था कि निर्माण कार्य अनुमति के अनुसार करवाएं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इससे शहर का सबसे बड़ा आवासीय क्षेत्र व्यावसायिक बन गया। जब इस संबंध में सिरोलिया से बात की गई तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
अनुमति जारी करने के साथ ये है जरूरी
निर्माण स्थल पर अनुमति का नक्शा व जानकारी संबंधी बोर्ड लगाया जाए, ताकि आम लोगों को पता चल सके कि किस तरह का निर्माण किया जा रहा है।
नींव भरने के बाद अनुमति देने वाले अधिकारी को देखना चाहिए कि नियमानुसार नींव भरी गई है या नहीं। इसके बाद आगे की अनुमति जारी की जाए।
स्ट्रक्चर तैयार होने के बाद अधिकारी फिर निरीक्षण करें और स्ट्रक्चर सर्टिफिकेट जारी करें। इससे पता चले कि अनुमति के मुताबिक स्ट्रक्चर तैयार किया गया है नहीं।
निर्माण पूर्ण होने के बाद निरीक्षण किया जाए। बिना कार्यपूर्णता प्रमाण-पत्र लिए भवन के उपयोग की अनुमति नहीं है।
मप्र भूमि विकास निगम नियम 2012 में स्पष्ट है कि तय अनुमति के मुताबिक ही निर्माण किया जाए। इसकी जिम्मेदारी प्लॉट मालिक और इंजीनियर की भी है।

अनुमति से विपरीत निर्माण की शिकायतें आती हैं तो इंजीनियर से जांच करवाते हैं। तय प्रक्रिया के अनुसार कार्रवाई की जा रही है।
पवन कुमार सिंह, अपर आयुक्त, नगर निगम

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