इस पर कांताराव ने उनसे कहा कि मकानों में झंडे-बैनर लगाने की अनुमति नगर निगम देता है उसके पास जाएं। इस संबंध में लोढ़ा ने कांताराव के समक्ष यह साफ किया कि नगर निगम के पास राजनीतिक झंडे मकानों पर नहीं लगाने देने को लेकर कोई नियम नहीं है।
प्रदेश में छह अक्टूबर से आदर्श आचार संहिता प्रभावशील है। ऐसे में चुनाव आयोग ने निजी संपत्ति के विरूपन के संबंध में निर्देश जारी किए हैं। निर्देशों के मुताबिक आयोग ने स्थानीय कानून के बंधन प्रभावी करते हुए कहा है कि झंडे-बैनर लगाने के लिए नगरीय निकाय से इजाजत लेनी होगी।
लोढ़ा ने आयोग को दिए ज्ञापन में कहा है कि मप्र नगरपालिका अधिनियम के तहत ऐसा कोई नियम-विनियम नहीं है, जिसके तहत राजनीतिक दलों के झंडे लगाना प्रतिबंधित किया जा सके।
स्थानीय कानून के तहत सिर्फ व्यवसायिक उपयोग के लिए लगाए जाने वाले बोर्ड, होर्डिंग्स पर व्यवसायिक दर नियम है। इसलिए व्यवसायिक बैनर-पोस्टर या झंडे लगाने के लिए निगम से अनुमति लेना उचित है।
राजनीतिक झंडे लगाने के लिए नहीं। लोढ़ा ने कहा है कि झंडे के लिए स्थानीय निकाय से अनुमति लेने के निर्देश संविधान के अनुच्छेद 14,15,16 का उल्लंघन है।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में आचार संहिता लागू हो चुकी है। राजधानी समेत अन्य जिलों में सरकारी और गैर सरकारी स्थानों पर राजनीतिक झंडे बिना चुनाव आयोग की अनुमति के नहीं लगा सकते। आचार संहिता के लगने के बाद से राजनीतिक दलों ने द्वारा आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए दिखा जा सकता है।