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प्रत्याशी बनते ही साध्वी की बढ़ी मुश्किलें, चुनाव लड़ने पर रोक लगाने के लिए EC से शिकायत

locationभोपालPublished: Apr 18, 2019 06:03:46 pm

Submitted by:

Pawan Tiwari

प्रत्याशी बनते ही साध्वी की बढ़ी मुश्किलें, चुनाव लड़ने पर रोक लगाने के लिए EC से शिकायत

pragya thakur

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भोपाल. मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी और भोपाल से भाजपा उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जब से बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है, उसके बाद से ही वो विरोधियों के निशाने पर हैं। अब कई लोगों ने साध्वी को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए चुनाव आयोग में शिकायत की है।
वहीं, मालेगांव ब्लास्ट के एक पीड़ित के पिता ने याचिका दायर की है और प्रज्ञा की उम्मीदवारी को चुनौती दी है। पीड़िता के पिता ने अपनी याचिका में प्रज्ञा ठाकुर के स्वास्थ्य को लेकर सवाल उठाए हैं। क्योंकि एनआईए कोर्ट ने उन्हें स्वास्थ्य कारणों से ही जमानत दी थी।
https://twitter.com/ANI/status/1118827111471566848?ref_src=twsrc%5Etfw
 

टीवी एंकर तहसीन पूनावाला ने चुनाव आयोग में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ शिकायत की है। तहसीन ने चुनाव आयोग से मांग की है कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भोपाल से लोकसभा चुनाव 2019 लड़ने से रोका जाए। वह आतंकी घटनाओं की आरोपी हैं। उन्होंने इसमें हार्दिक पटेल का जिक्र किया है, जिन्हें दंगे के आरोपी होने की वजह चुनाव लड़ने से रोका गया। फिर तहसीन ने लिखा है कि मैं किसी भी राजनीतिक दल का मेंबर नहीं हूं।
https://twitter.com/hashtag/ElectionCommission?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw
 

प्रज्ञा की उम्मीदवारी को लेकर एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी बीजेपी पर निशाना साधा है। उऩ्होंने ट्वीट कर कहा है कि आतंकी घटनाओं की आरोपी को बीजेपी पुर्नस्थापित कर रही है। इस बेशर्मी पर लोग चकित है। जिस पर हम चर्चा कर रहे हैं यह नियमित राजनीतिक रणनीति है। यह आतंकवाद के खिलाफ भाजपा की जीरो टॉलरेंस नीति है।
https://twitter.com/asadowaisi/status/1118836925559758849?ref_src=twsrc%5Etfw
 

मालेगांव ब्लास्ट की रही हैं आरोपी
भिंड जिले में जन्मी और कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलने वाली प्रज्ञा का जीवन उतार-चढ़ाव वाला रहा है। मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक बम विस्फोट हुआ था। बम को मोटरसाइकिल में लगाया गया था। इस ब्लास्ट में आठ लोग मारे गए थे और 80 से अधिक लोग घायल हो हुए थे। इसकी प्रारंभिक जांच में प्रज्ञा का नाम सामने आया। एनएआईए ने जांच में पाया कि घटना की साजिश अप्रैल 2008 में भोपाल में रची गई थी। बाद में वे इस मामले में बरी हो गईं।
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