मंगलवार को मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की मौजूदगी में कंप्यूटर बाबा ने नर्मदा-मंदाकिनी-क्षिप्रा नदी न्यास का अध्यक्ष पद संभाला है। बाबा ने पद संभालते ही हेलिकॉप्टर की मांग कर दी। इसके पीछे बाबा ने तर्क दिया है कि पैदल बहुत घूम लिया है। अब एक हफ्ते में हेलिकॉप्टर दिलवा दें और उसी से नर्मदा का निरीक्षण करेंगे। कंप्यूटर बाबा ने कहा कि नर्मदा को बचाना है तो अस्त्र-शस्त्र भी आधुनिक होना चाहिए।
हेलिकॉप्टर का शौक पुराना
बाबा ने सरकार से हेलिकॉप्टर की डिमांड की है। ऐसा नहीं है कि सरकार में आने के बाद बाबा ने ऐसी मांग रखी है। उनका ये पुराना शौक है। धार्मिक कार्यक्रमों के लिए भी बाबा हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल करते आए हैं। 2011में मालवा महाकुंभ और 2012 में विदिशा में धार्मिक आयोजन के लिए हेलिकॉप्टर से लगातार कई दिन तक पर्चे बांटे गए थे।
बाबा ने सरकार से हेलिकॉप्टर की डिमांड की है। ऐसा नहीं है कि सरकार में आने के बाद बाबा ने ऐसी मांग रखी है। उनका ये पुराना शौक है। धार्मिक कार्यक्रमों के लिए भी बाबा हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल करते आए हैं। 2011में मालवा महाकुंभ और 2012 में विदिशा में धार्मिक आयोजन के लिए हेलिकॉप्टर से लगातार कई दिन तक पर्चे बांटे गए थे।
ये है बाबा का असली नाम
आप कई बार सोचते होंगे कि वाकई इनका नाम कंप्यूटर बाबा ही हैं तो नहीं बाबा का असली नाम नामदेवदास त्यागी है। इनका इंदौर के अहिल्या नगर में भव्य आश्रम है। इनको उपनाम मिलने की वजह भी बहुत दिलचस्प है। 1998 में जब कंप्यूटर युग की शुरुआत हो रही थी तब नृसिंहपुर में एक कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ साधु-संतों ने नामदेवदास त्यागी की तेज कार्यशैली को देखते हुए इनका नाम कंप्यूटर बाबा रख दिया।
आप कई बार सोचते होंगे कि वाकई इनका नाम कंप्यूटर बाबा ही हैं तो नहीं बाबा का असली नाम नामदेवदास त्यागी है। इनका इंदौर के अहिल्या नगर में भव्य आश्रम है। इनको उपनाम मिलने की वजह भी बहुत दिलचस्प है। 1998 में जब कंप्यूटर युग की शुरुआत हो रही थी तब नृसिंहपुर में एक कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ साधु-संतों ने नामदेवदास त्यागी की तेज कार्यशैली को देखते हुए इनका नाम कंप्यूटर बाबा रख दिया।
इनाम मिलते ही हो गए थे मौन
मध्यप्रदेश शिवराज सिंह की सरकार के दौरान कंप्यूटर बाबा ने नर्मदा नदी में हो रहे अवैध उत्खनन का मामला उठाया था। इसके लिए वो पूरे राज्य में मुहिम चलाने वाले थे। लेकिन शिवराज सिंह इनके साथ चार और बाबाओं को राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया। उसके बाद बाबा ने मौन धारण कर लिया।
मध्यप्रदेश शिवराज सिंह की सरकार के दौरान कंप्यूटर बाबा ने नर्मदा नदी में हो रहे अवैध उत्खनन का मामला उठाया था। इसके लिए वो पूरे राज्य में मुहिम चलाने वाले थे। लेकिन शिवराज सिंह इनके साथ चार और बाबाओं को राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया। उसके बाद बाबा ने मौन धारण कर लिया।
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कंप्यूटर बाबा मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सिंह के खिलाफ हो गए। उसके बाद वो कांग्रेस नेताओं के करीब देखे जाने लगें। चुनाव के बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई। कुछ दिन बाद यानी लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही उन्हें इनाम मिल गया। नर्मदा न्यास का अध्यक्ष बना दिया गया। लेकिन बाबा ने कार्यभार चुनाव नतीजे आने के बाद संभाला।
कंप्यूटर बाबा मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सिंह के खिलाफ हो गए। उसके बाद वो कांग्रेस नेताओं के करीब देखे जाने लगें। चुनाव के बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई। कुछ दिन बाद यानी लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही उन्हें इनाम मिल गया। नर्मदा न्यास का अध्यक्ष बना दिया गया। लेकिन बाबा ने कार्यभार चुनाव नतीजे आने के बाद संभाला।
बाबा सोशल मीडिया पर रहते हैं एक्टिव
नाम के अऩुसार बाबा लैपटॉप का भी खूब इस्तेमाल करते हैं। लैपटॉप और मोबाइल के जरिए वह सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं। हमेशा अपनी गतिविधियों की जानकारी वह अपने सोशल मीडिया एकाउंट के जरिए लोगों को देते हैं।
नाम के अऩुसार बाबा लैपटॉप का भी खूब इस्तेमाल करते हैं। लैपटॉप और मोबाइल के जरिए वह सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं। हमेशा अपनी गतिविधियों की जानकारी वह अपने सोशल मीडिया एकाउंट के जरिए लोगों को देते हैं।
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लोकसभा चुनाव के दौरान भोपाल से कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह के लिए बाबा ने भोपाल में रोड शो किया था। यही नहीं उन्होंने दिग्विजय सिंह के लिए सैकड़ों साधु-संतों के साथ धूनी तापा था। दिग्विजय सिंह भी वहां पहुंचे थे। साथ ही साध्वी प्रज्ञा पर भी खूब हमला किया था लेकिन दिग्विजय सिंह चुनाव हार गए।
लोकसभा चुनाव के दौरान भोपाल से कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह के लिए बाबा ने भोपाल में रोड शो किया था। यही नहीं उन्होंने दिग्विजय सिंह के लिए सैकड़ों साधु-संतों के साथ धूनी तापा था। दिग्विजय सिंह भी वहां पहुंचे थे। साथ ही साध्वी प्रज्ञा पर भी खूब हमला किया था लेकिन दिग्विजय सिंह चुनाव हार गए।